उत्तराखण्ड की सियासत में महिलाएं हाशिये पर

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राजनीति में महिलाओं को आरक्षण देने के मामले में उत्तराखण्ड भी कसौटी पर खरा नही उतरा है जिसके चलते लंबे समय से राज्य की सियासत में महिलाएं हाशिये पर ही चल रही है। विधानसभा चुनाव में तीनों प्रमुख पार्टियों काग्रेस, भाजपा और आप ने कुल मिलाकर दस फीसदी महिलाओं को भी टिकट नही दिए है। राजनीतिक दलों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में जिताऊ प्रत्याशी की जरूरत होती है तो राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते है कि धनबल बाहुबल की प्रधानता वाली इस राजनीति का स्वरूप ऐसा है कि ज्यादातर महिलाएं खुद को इसमें अनफिट पाती है।

किस पार्टी की कितनी महिलाओं को टिकट

इस बार कांग्रेस ने पांच महिलाओं को टिकट दिया है तो भाजपा ने 8 को चुनाव मैदान में उतारा है। तीसरी शक्ति के रूप में चुनाव मैदान में मौजूद आम आदमी पार्टी ने 7 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। अगर इनमें से एक तिहाई यानी 7 महिलाएं भी चुनाव जीत जाती है तो यह उत्तराखण्ड के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा। राज्य में प्रतिनिधित्व के विपरीत महिलाओं की मतदान में भागीदारी पुरुषो से बेहतर नजर आती है।

पति, पिता ससुर के नाम पर महिलाओं को मिले टिकट

कांग्रेस और भाजपा ने जिन महिलाओं को टिकट दिया है उनमें से आधी अपने पति, पिता और ससुर की राजनैतिक उत्तराधिकारी बन कर मैदान में है। भाजपा ने दून केंट में पूर्व विधायक हरवंश कपूर की पत्नी सविता कपूर को तो खानपुर से विवादों में रहने वाले विधायक कुवँर प्रवण चैम्पियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को टिकट दिया है। इसी तरह पिथौरागढ़ से अपने पति प्रकाश पंत की मृत्यु के बाद उपचुनाव जीती चन्द्रा पंत को टिकट दिया तो कोटद्वार से पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूरी की बेटी ऋतु खण्डूरी को टिकट दिया है। ऋतु खण्डूरी वर्तमान में यमकेश्वर की विधायक है लेकिन वहाँ से उनका टिकट काट दिया गया है। इसी तर्ज पर कांग्रेस में लैसडाउन से पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्र वधु अनुकूति गोसाई रावत को टिकट दिया है। हरक सिंह रावत तो अनुकूति को भाजपा से टिकट दिलाने के लिये अड़े हुए थे परंतु भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगाकर हरक सिंह रावत अपनी पुत्रवधु को कांग्रेस से टिकट दिलाने में कामयाब रहे।

पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी भी मैदान में

एक परिवार से एक टिकट के सिद्धांत को दूसरी बार दरकिनार करते हुए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण से उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस में घर वापसी करने वाले पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य को बाजपुर व उनके पुत्र निवर्तमान विधायक को नैनीताल से टिकट दिया है। इसके अलावा भाजपा ने मौजूदा मंत्री रेखा आर्य को सोमेश्वर से, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही सरिता आर्य को दलबदल कर पार्टी में आने पर नैनीताल से, शैलारानी रावत को केदारनाथ से औऱ रेणु बिष्ट को यमकेश्वर से चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने मीना शर्मा को भगवानपुर, गोदावरी थापली को मसूरी व मीना शर्मा को रुद्रपुर से उम्मीदवार बनाया है।

अब तक पांच महिलाएं ही पहुँची विधानसभा

उत्तराखण्ड में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में राज्य की दो प्रमुख पार्टियों ने हमेशा अपना हाथ तंग रखा है। इसका परिणाम यह हुआ कि कभी भी पांच से अधिक महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा नही पहुच पाई। हालांकि चौथी विधानसभा के दौरान बीजेपी प्रकाश पंत और मगन लाल साह की मृत्यु के बाद उनकी पत्नियां क्रमशः चन्द्रा पंत और मुन्नी देवी थराली से उपचुनाव जीतकर विधायक बनी थी।