क्या बदल रहे सियासी हवा का रुख नहीं समझ पा रहे हरदा! , पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट

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उत्तराखंड कांग्रेस चुनाव कैंपेन समिति के चेयरमैन और पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं से चुनाव मैदान में है यहां बदल रहे सियासी हवा का रुख वह समझ नहीं पा रहे हैं या ओवरकॉन्फिडेंस में चल रहे कांग्रेसी उन्हें घेरे हुए है जो वास्तविकता समझने नहीं दे रहे हैं।
हरीश रावत वो नाम जिसके दम पर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में काबिज होने के मंसूबे पाले हुए है, लेकिन राजनीतिक हलकों में सवाल यह उठ रहा है कि क्या फिलहाल खुद हरीश रावत इस स्थिति में हैं कि वो चुनाव जीत सकें इसका जवाब है लगता तो नहीं।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां पर जिस दिन उन्होने नामांकन कराया था तो उस दिन तो लग रहा था कि यहां से हरीश रावत एकतरफा जीत दर्ज कर सकते हैं लेकिन चुनाव के दरमियान चंद दिनों में ही हवा जब बदलती है तो उसका रुख भांप पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। इस समय जब मतदान के दिन बेहद करीब रह गए हैं तो हरीश रावत लालकुआं सीट पर बुरी तरह से घिरे नजर आने लगे हैं। यहां पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ओवर कॉन्फिडेंस भी हरीश रावत के कमजोर चुनावी मैनेजमेंट पर बुरा असर डाल रहा है। जहां एक ओर भाजपा कार्यकर्ता झुंड के रूप में ही नहीं बल्कि एकल रूप में भी घर-घर में दस्तक देते हुए भाजपा प्रत्याशी डा. मोहन सिंह बिष्ट के लिए मेहनत कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता झुंड के झुंड टोलिया बनाकर निकल रहे हैं लेकिन हरीश रावत के लिए माहौल बनाने में नाकाम ही साबित हो रहे हैं। हां इतना जरूर है कि कांग्रेसी चुनावी कैंपेन के दौरान फोटो सेशन ऐसे करा रहे हैं जैसे उनसे ज्यादा हरीश रावत के लिए मेहनत कोई नहीं कर रहा। जबकि वास्तविकता यह है कि विधानसभा की जनता के ज़हन में हरीश रावत का नाम अभी तक कोई खास जगह नहीं बना पाया है। इन दो चार आठ दिनों में अगर कांग्रेस या फिर खुद हरीश रावत ने इसपर गौर नहीं किया तो हश्र 2017 की तरह किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण सीट जैसा हो सकता है।

पैराशूट का मुद्दा बढ़ा रहा मुश्किलें

लालकुआं। विधानसभा क्षेत्र में पैराशूट और स्थानीय का मुद्दा जहां कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत के लिए चुनौती बना हुआ है वहीं युवा वर्ग का भारी रुझान बीजेपी प्रत्याशी डॉ मोहन सिंह बिष्ट की ओर होने से हरीश रावत की मुश्किले बढ़ा रहा है।

बिंदुखत्ता , चोरगलिया को छोड़कर कांग्रेस फाइट में नहीं

लालकुआं। अभी तक के चुनावी समीकरण पर नजर डालें तो कांग्रेस लालकुआं विधानसभा अंतर्गत बिंदुखत्ता और चोरगलिया में ही फाइट देती नजर आ रही है बाकी बरेली रोड ,गौलापार व लालकुआं शहर में स्थिति बेहद कमजोर बनी हुई है। बता दें कि विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता बरेली रोड में है ,बरेली रोड की भूमिका ही निर्णायक रहती आई है।

निर्दलीय संध्या डालाकोटी भी पहुंचा सकती है भारी नुकसान

लालकुआं। कांग्रेस से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरी संध्या डालाकोटी भी कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं बताया जा रहा है संध्या डालाकोटी कांग्रेस के परंपरागत मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखतीं है। और दूसरा उनका टिकट वापस लेने से भी अधिकांश कार्यकर्ताओं की भीतरखाने सहानुभूति उनकी और बताई जा रही है।

स्थानीय दिग्गज नेताओं का भी कोई असर नहीं
लालकुआं। स्थानीय कांग्रेसी दिग्गज नेताओं का भी फिलहाल हरीश रावत को विशेष लाभ मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि लोग खुलेआम कहते हुए नजर आ रहे हैं कि यदि आप खड़े होते तो हम सोचते , लेकिन आपके कहने में हम किसी और को वोट दें यह मुमकिन नहीं है।