पानी की रखवाली:371 किमी नहर की सुरक्षा में 13 आईएएस, 10 आईपीएस, दो चीफ इंजीनियर कुल 1200 कर्मी तैनात…पढ़ें पूरी खबर

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गुरुवार को ही बज्जू के पास आरडी 961 पर पुलिस, आरएसी और नहर अभियंताओं ने गश्त लगाकर किसानों काे चेतावनी दी कि पानी चाेरी ना करें। वर्ना जेल जाना पड़ सकता है।
नहर से पानी की चाेरी काे राेकने के लिए 13 आईएएस, 10 आईपीएस, दाे चीफ इंजीनियर, तीन एडीशनल चीफ इंजीनियर, 14 थाने की पुलिस सहित करीब 1200 अधिकारियाें-कर्मचारियाें का लवाजमा 2000 क्यूसेक पानी की सुरक्षा में तैनात किया गया है।
नहर में पानी 19 अप्रैल तक चलेगा

उसके बाद नहर सूखने की स्थिति में पहुंच जाएगी। तब तक पश्चिमी राजस्थान की करीब दाे कराेड़ आबादी की प्यास बुझाने के लिए सरकार ने पानी की चौकीदारी शुरू कर दी है। नहरबंदी के दौरान सिर्फ 2000 क्यूसेक ही पानी हाेता है ।

जाे पीने के काम म्‍ता है। अगर इसमें चाेरी हुई ताे 10 जिलाें की करीब दाे कराेड़ आबादी सीधी प्रभावित हाेती है। इसलिए सीएम कार्यालय से लेकर जल संसाधन, जलदाय, 10 जिलाें के कलेक्टर-एसपी,

तीन संभागीय म्‍युक्त, नहरी क्षेत्र के सभी मुख्य अभियंता समेत पूरे लवाजमे काे पानी बचाने के लिए मैदान में उतार दिया गया है।

नहरबंदी ऐसे समय होती है जब कपास बोया जाता है, बज्जू में पानी चोरी के 3 मामले दर्ज

कपास की बिजाई का समय है,खेत को पानी चाहिए : मार्च से मई के बीच नहरबंदी हाेती है। यह समय कपास की बिजाई का हाेता है। नहर के करीब ढाई लाख हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बिजाई हाेती है।

किसानाें काे इस वक्त पानी की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है। इसलिए चाेरी होती है। नहर विभाग नहरबंदी के बाद खरीफ की फसल के लिए सिंचाई का पानी देता है।

लेकिन तब तक बिजाई का समय बीत चुका हाेता है। ऐसे में किसान समय पर बिजाई करने के लिए पानी चोरी करते हैं।

अनूपगढ़ ब्रांच में पानी की सबसे ज्यादा चोरी: सबसे ज्यादा पानी चाेरी अनूपगढ़ ब्रांच, खाजूवाला, पूगल, छत्तरगढ़ और बज्जू इलाके में हाेती है। लेकिन मुख्य नहर की रखवाली जैसलमेर तक करती पड़ती है।

इसके लिए आरएसी के सैकडों जवानों काे हथियाराें के साथ तैनात किया गया है। 19 अप्रैल तक रखवाली इसलिए जरूरी है क्योंकि तब तक ही पीने का पानी नहर में चलेगा। उसके बाद पूरी तरह पानी बंद हा़े जाएगा।
कपास कम पानी की फसल फिर भी खेती पर संकट : कपास की बुआई 15 अप्रैल से 15 मई तक की जा सकती है। यह पीक समय है। फसल 170 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार लगभग 25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है।

प्रदेश में अलवर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बांसवाड़ा डूंगरपुर जिलों में इसकी पैदावार की जाती है। कृषि विभाग ने इस बार बीटी कॉटन की बिजाई के लिए एक लाख 40 हजार 500 हैक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य निर्धारित किया था।
सिंचाई के लिए पानी देने का क्या तर्क: कपास ऐसी फसल है जिसके लिए नहर विभाग सिंचाई के लिए ताे खरीफ में पानी देता है लेकिन जब उसकी बिजाई का समय हाेता है तब नहरबंदी हाेती है।

ऐसे में सवाल है कि जिस फसल की बिजाई के लिए पानी नहीं तो सिंचाई के लिए देने का क्या मतलब। मजबूरी में इसीलिए किसान पानी चोरी का प्रयास करते हैं। ए

क सप्ताह में नहर विभाग ने तीन एफआईआर बज्जू इलाके में कराई है। किसान साइफन लगाकर पानी चोरी करते पकड़े गए हैं। पानी चाेरी राेकने के लिए पुलिस-प्रशासन और आईजीएनपी अभियंता फील्ड में हैं।

नहर पर गश्त हा़े रही है। नहरबंदी के दाैरान ये पानी पीने के लिए है। किसानाें काे ये बात समझनी हाेगी कि अगर इस पानी काे चाेरी किया ताे लाेगाें काे पीने के लिए पानी कहां से मिलेगा।

संवेदनशीलता दिखाते हुए पानी चाेरी से बचें वरना प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। मुकदमें दर्ज हाेंगे। -हरीश छतवानी, अधीक्षण अभियंता रेग्युलेशन खबर सोशल मीडिया

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