कहते हैं प्यार की कोई उम्र और कोई सीमा नहीं होती- 70 साल का बुजुर्ग 65 साल की

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सुब्रत सेनगुप्ता और अपर्णा चक्रवर्ती दोनों ही अविवाहित हैं। तमाम बंधनों और रूढि वादी सोच को तोड़ते हुए सुब्रत और अपर्णा ने अपने जीवन में पहली बार शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया, इस जोड़े ने पिछले हफ्ते ही कानूनी रूप से शादी कर ली।

सुब्रत सेनगुप्ता,राज्य परिवहन निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। सुब्रत का कहना है कि मैं राणाघाट अनुमंडल के चकदाह में अपने भाई के परिवार के साथ रहता था, लेकिन दो साल पहले, मैंने खुद को उनके परिवार में एक बोझ पाया, फिर मैंने अपना शेष जीवन वृद्धाश्रम बिताने का फैसला किया।

वहीं अपर्णा कोलकाता में एक प्रोफएसर के घर में काम करती थीं। तकरीबन 5 साल पहले उसे काम से निकाल दिया गया। अपर्णा का कहना है कि मैं अपने माता-पिता के घर लौटना चाहती थी, लेकिन परिजनों ने मुझे स्वीकार करने से मना कर दिया। अपनी बचत के आधार पर, मैं वृद्धाश्रम में आ गई और अपनी अंतिम सांस तक इस स्थान पर रहने का फैसला किया था।

वृद्धाश्रम में जब सुब्रत ने अपर्णा को देखा, उन्हें लगा कि वो उनके जीवन में नई उम्मीद बन कर आई हैं, उन्होंने समय बर्बाद किए बिना, अपर्णा को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला किया।

कोलकाता: कहते हैं प्यार की कोई उम्र और कोई सीमा नहीं होती- ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिला है पश्चिम बंगाल में जहां एक वृद्धआश्रम में एक बुजुर्ग दंपत्ति को एक- दूसरे संग इतना गहरा प्यार हुआ कि अब वह अपनी बाकी की जिंदगी एक साथ गुज़ारना चाहते हैं। इस कप्पल का नाम है कि सुब्रत सेनगुप्ता और अपर्णा चक्रवर्ती जो पश्चिम बंगाल के रहने है। सुब्रत 70 साल के है तो वहीं अपर्णा 65 वर्ष की हैं।

सुब्रत सेनगुप्ता और अपर्णा चक्रवर्ती दोनों ही अविवाहित हैं। तमाम बंधनों और रूढि वादी सोच को तोड़ते हुए सुब्रत और अपर्णा ने अपने जीवन में पहली बार शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया, इस जोड़े ने पिछले हफ्ते ही कानूनी रूप से शादी कर ली।

सुब्रत सेनगुप्ता,राज्य परिवहन निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। सुब्रत का कहना है कि मैं राणाघाट अनुमंडल के चकदाह में अपने भाई के परिवार के साथ रहता था, लेकिन दो साल पहले, मैंने खुद को उनके परिवार में एक बोझ पाया, फिर मैंने अपना शेष जीवन वृद्धाश्रम बिताने का फैसला किया।

वहीं अपर्णा कोलकाता में एक प्रोफएसर के घर में काम करती थीं। तकरीबन 5 साल पहले उसे काम से निकाल दिया गया। अपर्णा का कहना है कि मैं अपने माता-पिता के घर लौटना चाहती थी, लेकिन परिजनों ने मुझे स्वीकार करने से मना कर दिया। अपनी बचत के आधार पर, मैं वृद्धाश्रम में आ गई और अपनी अंतिम सांस तक इस स्थान पर रहने का फैसला किया था।

वृद्धाश्रम में जब सुब्रत ने अपर्णा को देखा, उन्हें लगा कि वो उनके जीवन में नई उम्मीद बन कर आई हैं, उन्होंने समय बर्बाद किए बिना, अपर्णा को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला किया। खबर सोशल मीडिया