पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा यह युद्ध गहराएगा खाघ संकट, आम आदमी को पड़ेगी महंगाई की मार

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बार्सिलोना। यूक्रेन में जारी लड़ाई का चौतरफा असर नजर आएगा। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक इस लड़ाई के चलते यूरोप, अफ्रीका और एशिया के लोगों की खाद्य आपूर्ति और आजीविका दोनों पर संकट गहरा गया है। दरअसल काला सागर का विशाल क्षेत्र उपजाऊ खेतों पर निर्भर हैं। इसको दुनिया की रोटी की टोकरी के रूप में जाना जाता है। खेती किसानी सब चौपट होने की ओर है क्‍योंकि इस लड़ाई के चलते लाखों यूक्रेनी किसानों को पलायन करना पड़ा है।

मौजूदा वक्‍त में बंदरगाहों को बंद कर दिया गया है। ये बंदरगाह खाद्य आपूर्ति के बड़े केंद्र थे। ये दुनिया भर में रोटी नूडल्स और पशु चारा बनाने के लिए गेहूं एवं अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति करते थे। हालांकि गेहूं की आपूर्ति में अभी तक वैश्विक व्यवधान नहीं आया है लेकिन आगे कुछ भी हो सकता है। इसी अनिश्चितता के चलते खाद्य सामग्री की कीमतों में 55 फीसद की वृद्धि हुई है। इसका फायदा रूस को मिल सकता है। रूस से खाद्यान्‍न का निर्यात बढ़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद (International Grains Council) के निदेशक अरनौद पेटिट (Arnaud Petit) ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि यदि यह युद्ध लंबे समय तक चलता है तो यूक्रेन से सस्ते गेहूं के आयात पर भरोसा करने वाले देशों को जुलाई में खाद्य सामग्री में किल्‍लत का सामना करना पड़ सकता है। इस संकट से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा मिस्र और लेबनान जैसी जगहों पर बड़ी संख्‍या में लोगों को गरीबी में ढकेल सकती है। यहां सरकार की ओर से खाद्य सब्सिडी दी जाती है।

यूरोप में यूक्रेन से आयात होने वाले उत्पादों की कमी को लेकर अभी से तैयारियां होने लगी हैं। यूरोप के पशुओं के चारे की कीमतों में वृद्धि की आशंकाएं हैं। इससे मांस और डेयरी के उत्‍पाद महंगे हो सकते हैं। दरअसल रूस और यूक्रेन दुनिया के लगभग एक तिहाई हिस्‍से में गेहूं और जौ का निर्यात करते हैं। यूक्रेन मकई का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। यही नहीं यूक्रेन दुनिया में सूरजमुखी के तेल सर्वाधिक उत्‍पादनकर्ता है। जाहिर है यह युद्ध केवल रूस और यूक्रेन को ही नहीं दुनिया के बाकी मुल्‍कों को भी प्रभावित करेगा।