यहां पर छात्रों ने शिक्षक पर लगाया धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप

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यह बहुत हैरान परेशान कर देने वाली बात है कि पिछले काफी समय से ऐसी बहुत सारी बातें सामने आ रही हैं जहां पर किसी न किसी स्कूल के शिक्षक ही बच्चों के मासूम मन में जहर के बीज हो रहे हैं। ऐसे शिक्षक अपने पास पढ़ने आने वाले बच्चों को अपने मत या मजहब में जबरन धर्मांतरण करना चाहते हैं। अब ऐसा ही एक मामला सामने आया है तेलंगाना में। इस राज्य के एक स्कूल के शिक्षक पर धर्मांतरण कराने के लिए लालच देने का मामला सामने आया है।

यह लालच उसने अपनी कक्षा में पढ़ने आने वाले बच्चे को ही दिया है। इस बारे में मेलवार जिले के विकाराबाद में स्थित जे पी एच एस सरकारी स्कूल के एक विद्यार्थी ने आरोप लगाया है की उसका गणित का अध्यापक के. रत्नम उसे लगातार ईसाई धर्म अपनाने को कहता रहता है। इस बच्चे के आरोप लगाने से पहले कुछ अन्य छात्रों ने भी इस अध्यापक पर छात्रों में परस्पर पर भेदभाव करने के आरोप लगाए थे। इन आरोपों में एक यह आरोप भी था की मामूली सी बात पर ही यह टीचर दलित छात्रों को अन्य छात्रों के पैर छूने और उनसे माफी मांगने के लिए कहता है।

इतना ही नहीं वह उनसे जातियों के अनुसार भेदभाव भी करता है तथा उनकी पिटाई भी करता है, जिस कारण इसके पास पढ़ने वाले विद्यार्थी अपने को शर्मिंदा महसूस करते हैं बच्चे ने आरोप लगाते हुए बताया है कि शिक्षक यह भी कहते हैं कि अगर वह ईसाई बन जाता है तो उसे अमेरिका से गिफ्ट मिलेंगे, और साथ में वह मुझे पैसों का लालच भी देता है। यह सारी जानकारी लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फॉर्म ने अपने ट्विटर हैंडल पर दी है। इस बच्चे ने अपने आरोपों में यह भी कहा है कि गणित का यह अध्यापक छात्रों को कक्षा की दीवारों पर से मां सरस्वती इत्यादि के चित्र भी हटा देने के लिए कहते हैं। तथा वह उनके बारे में गलत भाषा का भी प्रयोग करता है।

बच्चे द्वारा जब यह आरोप लगाए गए और मामला तूल पकड़ने लगा, तब पुलिस ने इस अध्यापक के खिलाफ 295 ए के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया है। अब लोगों द्वारा इस मामले में नेशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन आफ चाइल्ड राइट्स द्वारा भी उचित कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। बता दें यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं है जब किसी स्कूल के शिक्षक ने अपने बच्चे को किसी अन्य मत यमझब में धर्मांतरण करने का प्रयास किया हो। अभी हाल ही में दक्षिण भारत के कई राज्यों में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। इसी जनवरी महीने की आरम्भ में ही बंगलुरु के एक स्कूल में 1 बच्चे को उस समय इस्लामिक ढंग से प्रार्थना करने की सजा दी गई थी जब वह मैथ के सवाल सही तरह हल नहीं कर सकी थी।

यह मामला ऑर्किड इंटरनेशनल स्कूल में हुआ था। तब उसके बारे में भी काफी बवाल हुआ था। यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर कौन सा जुनून इन अध्यापकों को उकसाता है जो यह अपने पास पढ़ने आने वाले मासूम बच्चों को भी किसी न किसी तरह से अपने मत अथवा मजहब में धर्मात्रित करने के कुटिल प्रयास करते रहते हैं।