पहाड़ी पर स्थित आस्था का प्रमुख केंद्र है राजस्थान के सीकर जिले में स्थित हसाम पुर गांव का मनसा माता का मंदिर

खबर शेयर करें

संपादक ब्यूरो विनोद कुमार अग्रवाल

आस्था का प्रमुख केंद्र है राजस्थान के सीकर जिले का मां मनसा देवी मंदिर
राजस्थान की भूमि अपने पौराणिक महत्व ऐतिहासिक गाथा और धार्मिक मान्यताओं के धरोहर रही है यहां अंतर्गत आस्था के अनेक धाम श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं जिन देवस्थल में पहुंचकर श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती हैं तथा उन्हें दिव्य एवं अलौकिक शक्ति का आभास होता है ईश्वर की समदर्शिता न्यायशीलता और आस्था के ऐसे प्रमुख केंद्रों में स्थित है जनपद सीकर अंतर्गत हसामपुर गांव का मां मनसा देवी मंदिर इस मंदिर के दर्शन करते ही मनुष्य के समस्त जन्म जन्मान्तरों के कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें असीम शांति की प्राप्ति होती है वैष्णवी रूप में पूजित मां मनसा देवी मंदिर की स्थापना द्वापर युग की बताई जाती है पांडवों द्वारा अपना अज्ञातवास पूरा करने के बाद इस स्थान पर शक्ति की आराधना कर अपनी निष्कंटक यात्रा का आशीर्वाद लिया गया तथा उन्हें कई दिव्यास्त्र की भी प्राप्ति हुई इस मंदिर के संदर्भ में एक प्रचलित कथा के अनुसार सूर्यवंशी राजा अग्रसेन का विवाह नागवंश में होने के कारण यह देवी अग्रवाल वंश की कुलदेवी के रूप में भी जानी जाती है अग्रवाल समाज द्वारा नाग पंचमी पर यहां विराट पूजा की जाती है तथा समाज में शादी विवाह के मांगलिक अवसर पर माता के दरबार में नागफनी की चुनरी पहनाई जाती है माता की महिमा का इतिहास दसवीं तथा 11वीं शताब्दी में तवरपाटी के इतिहास में भी उल्लेखित है मां मनसा देवी मंदिर में कुल 5 पिंडियों में से 3 कुदरती बताई जाती हैं अर्थात यह तीन पिंडियां स्वयं से प्रकट ईश्वरी सत्ता का साक्षात्कार कराती हैं ज्ञान वैभव व शक्ति देवियों के रूप में स्थापित इन पिंडियों का दर्शन करना परम सौभाग्य बताया जाता है यूं तो वर्ष भर देश के कोने कोने से श्रद्धालुओं की आवाजाही यहां बनी रहती है लेकिन नवरात्रि के पावन पर्व के दौरान यहां का नजारा देखते ही बनता है स्थानीय के अलावा दूरदराज के लोग भी मां मनसा देवी के दरबार में पहुंचकर श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हैं सृष्टि के प्रारंभ में ज्ञान वैभव व शक्ति की त्रिदेवियों सरस्वती लक्ष्मी तथा मां काली का प्रादुर्भाव हुआ इन्हीं तीन शक्तियों का सम्मिलित रूप मां मनसा देवी बताया जाता है वैश्णवी रूप में पूजित मां मनसा देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की अपार आस्था के साथ साथ ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व का भी प्रतीक है जिस के संदर्भ में अनेक कथाएं प्रचलित हैं कहा जाता है कि सच्चे मन से यदि व्यक्ति कहीं से भी किसी भी स्थान से मां का सुमिरन करले तो तत्काल उसके समस्त प्रकार के संतापों का हरण हो जाता है और वह काम क्रोध लोभ मोह मद तथा ईर्ष्या के विकारों से मुक्त होकर ज्ञान भक्ति व विवेक को प्राप्त करता है अनेकों धार्मिक मान्यताओं को अपने आप में समेटे माता मनसा देवी मंदिर के दर्शन दिल्ली से कोटपूतली नामक स्थान पर बस अथवा अन्य साधनों से पहुंचने के बाद लगभग 18 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद किए जा सकते हैं मार्ग में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए भी स्थानीय भक्त जनों द्वारा बेहतर प्रबंध के गए हैं इस मंदिर पर की गई पूजा से श्रद्धालुओं को श्रवण मनन कीर्तन पूजन वंदन अर्चन साख्य दास्य आत्मनिवेदन इन 9 प्रकार के नवधा भक्ति के बराबर आशीर्वाद मिलता है ऋषि मुनियों की तपस्थली रही मां मनसा देवी मंदिर का अलौकिक एवं दिव्य वातावरण श्रद्धालुओं को असीम शांति तथा आनंद की अनुभूति प्रदान करता है जिसका एहसास कर श्रद्धालु बार-बार माता के श्री चरणों में श्रद्धा के पुष्प अर्पित करने को लालायित रहते हैं एक ऐसी अटूट भक्ति का संचार और माता के दर्शनों को करने की लालसा इस प्रकार बनी रहती है जैसे स्वाति नक्षत्र की एक बूंद पीने को पपीहा तरस उठता है इस दरबार की भव्यता को देखते ही भक्तजन सहसा कह उठते हैं या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः

More News Updates