वृंदावन का बेहद रहस्यमई तीर्थस्थल है पागल बाबा मंदिर, यहां खुद कान्हा आए थे भक्त की गवाही देने पढ़ें पूरी स्टोरी

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वृंदावन में यूं तो कई मंदिर है, यह बांके बिहारी श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है। यहां आपको चारों तरफ छोटे-बड़े कई कन्हैया के मंदिर दिखेंगे, लेकिन यहां एक ऐसा मंदिर है, जिसे पागल बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को श्रीकृष्ण के भक्त ने बनवाया था, जिसे पागल बाबा के नाम से लोग जानते हैं। इस मंदिर को लेकर एक बड़ी ही अच्छी किवदंती है, जिसे वृंदावन के लोग (ब्रजवासी) बड़े ही प्यार और सरलता के साथ बताते हैं।

पागल मंदिर को लेकर किवदंती
किवंदती के अनुसार, काफी साल पहले बांके बिहारी मंदिर का एक ब्राह्मण होता है, जिसने एक महाजन से पैसा उधार ले रखा था। इसके बदले वह हर महीने महाजन को ब्याज के साथ पैसे दे आता है। आखिरी किश्त के समय महाजन ने पैसे को लेकर खूब नौटंकी की और ब्राह्मण से कहा कि तुमने कोई भी पैसा नहीं चुकाया और फिर उसने अदालत में केस कर दिया। इस पर जब जज ने बुजुर्ग ब्राह्मण से पूछा कि उसके पास कोई प्रमाण है कि उसने महाजन को पैसे दिए हैं तो उसने कहा कि उसके लिए गवाही देने बांके बिहारी आएंगे और उसने बांके बिहारी मंदिर का पता लिखवा दिया। अगली अदालती कार्यवाही के दिन एक बुजुर्ग व्यक्ति अदालत में आया और सारी तारीखों का विवरण दिया, जिस-जिस ब्राह्मण ने पैसे चुकाए थे और साथ ही ये भी कहा वह उस ब्राह्मण के साथ ही रहता था। इस महाजन का रजिस्टर चेक किया गया, जो सही साबित हुआ।

पागल बाबा मंदिर किसने बनवाया?
इस पर जज ने ब्राह्मण से पूछा कि ये बुजुर्ग कौन था और कहा रहता है? तो ब्राह्मण ने कहा कि यही तो बांके बिहारी हैं और ये तो सभी जगह होते हैं। इस पर जज अपने कार्य से इस्तीफा देकर सन्यासी रूप में कृष्ण की खोज में निकल पड़ा, जिसके बाद उसे लोग पागल बाबा कहने लगे और वह इसी नाम से विख्यात हुआ। साल 1969 ईस्वी में पागल बाबा ने मंदिर निर्माण के लिए योजना बनाई और मथुरा मार्ग पर संगमरमर से बना नौ मंजिला लीलाधाम का निर्माण कराया, जिसे पागल बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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पागल बाबा मंदिर का क्षेत्रफल
अपनी सुंदरता बिखेरता यह मंदिर 18000 वर्ग फीट में बना है, जो 221 फीट ऊंचा है। इस मंदिर के हर मंजिल पर भगवान की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा बाबा के ऐतिहासिक गोपेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित भूतगली में लीला कुंज का भी निर्माण किया। वहीं, 24 जुलाई 1980 ईस्वी को पागल बाबा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया और समाधि ले ली। बाबा की प्रतिमा मंदिर में आप देख सकते हैं।

जिला न्यायाधीश व जिलाधिकारी होते हैं मुख्य ट्रस्टी
इस मंदिर के मुख्य ट्रस्टी मथुरा के जिला न्यायाधीश व जिलाधिकारी होते हैं। पागल बाबा मंदिर के मुख्य देवता श्रीकृष्ण व श्रीराम है। यह मंदिर भक्तों के लिए सुबह 08:00 बजे से रात के 08:00 तक खुला रहता है। इसके अलावा मंदिर हर रोज कठपुतली के माध्यम से रामलीला, कृष्णलीला का आयोजन भी किया जाता है। मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसके ऊपरी हिस्से से पूरा वृंदावन दिखाई देता है।

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