भगवान के पवित्र नाम की महिमा

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स्तेनः सुरापो मित्रधुग्ब्रह्महा गुरुतल्पगः।
स्त्रीराजपितृगोहन्ता ये च पातकिनोऽपरे ॥ ९ ॥
सर्वेषामप्यघवतामिदमेव सुनिष्कृतम्।
नामव्याहरणं विष्णोर्यतस्तद्विषया मतिः ॥ १० ॥

भगवान् विष्णु के नाम का कीर्तन सोना या अन्य मूल्यवान वस्तुओं के चोर, शराबी, मित्र या सम्बन्धी के साथ विश्वासघात करने वाले, ब्राह्मण के हत्यारे अथवा अपने गुरु अथवा अन्य श्रेष्ठजन की पत्नी के साथ संभोग करने वाले के लिए प्रायश्चित्त की सर्वोत्तम विधि है। स्त्रियों, राजा या अपने पिता के हत्यारे, गौवों का वध करने वाले तथा अन्य सारे पापी लोगों के लिए भी प्रायश्चित्त की यही सर्वोत्तम विधि है। भगवान् विष्णु के पवित्र नाम का केवल कीर्तन करने से ऐसे पापी व्यक्ति भगवान् का ध्यान आकृष्ट कर सकते हैं और वे इसीलिए विचार करते हैं कि, “इस व्यक्ति ने मेरे नाम का उच्चारण किया है, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि उसे सुरक्षा प्रदान करूँ।”
(श्रीमद भागवताम ६.२.९-१०)

हरे कृष्ण महामन्त्र जप की विधि:
सबसे पहले श्रील् प्रभुपाद प्रणति (मुख्य मनके पर एक बार):
नमः ॐ विष्णुपादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले, श्रीमते भक्तिवेदान्त स्वामिन् इति नामिने।
नमस्ते सरस्वती देवे गौर वाणी प्रचारिणे , निर्विशेष शून्यवादि – पाश्चात्य देश-तारिणे ।।

उसके बाद पंचतत्व मन्त्र (मुख्य मनके पर तीन बार)
जय श्री कृष्णचैतन्य, प्रभु नित्यानन्द, श्री अद्वैत, गदाधर, श्रीवासादि गौरर-भक्त-वृन्द।

(उपरोक्त दोनों मंत्र जप के समय होने वाले अपराधों से मुक्त होने में सहायता करते है।)

जो चीजें हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, उसपर हम ध्यान देते हैं। हम भगवान के पवित्र नाम को महत्व नहीं देते हैं क्योंकि हम आध्यात्मिकता से जुड़ी वस्तुओं की तुलना में भौतिक समृद्धि पर अत्यधिक महत्व रखते हैं। हमारी यही बीमारी है। हमारे पास पवित्र नाम के मिठास, समृद्धि और महिमा के लिए पर्याप्त सराहना नहीं है। हम भक्तों के संग पवित्र नाम की महिमा को सुनकर और सामूहिक जप (संकिर्तन) में हिस्सा लेकर पवित्र नाम की महिमा को सीख सकते हैं, ये दोनों ही शक्तिशाली अनुभव प्रदान करते हैं।

ह्युस्टन में मार्च 2018 में परमपूज्य रोमपाद स्वामी के प्रवचन “टेकिंग द रिट्रीट होम” नामक शीर्षक से अपनाया गया।

  • हरे कृष्ण महामन्त्र (निरन्तर)
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
    हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।

इस तरह हरे कृष्ण महामन्त्र का जाप १ माला से प्रारम्भ कर धीरे-धीरे बढ़ते हुए कम से कम प्रतिदिन सोलह माला जाप करें तथा निरन्तर जप करने का अभ्यास करें।

यद्यपि जप करने के लिए कोई विशेष नियमों की आवश्यकता नहीं है, परन्तु फिर भी भौतिक जीवन के इन चार व्यसनों का परित्याग करना चाहिए। धर्म के इन चार सिद्धांतों का पालन करने से धर्म के चार स्तम्भ तप, शुद्धि, दया, सत्य हमारे हृदय में विकसित होते हैं, जो कि हमें शांति, आनन्द, सन्तोष व समृद्धि प्रदान कर आत्म साक्षात्कार का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

हरे कृष्ण!!

यह संकीर्तन कलियुग में मानबता के लिये परम वरदान है

“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे”।।