मां के अंतिम संस्कार के लिए भिड़े भाई बहन बेटा कह रहा था कि हिंदू धर्म के अनुसार बेटी कह रही थी कि मुस्लिम परंपरा के हिसाब से क्या है पूरा मामला पढ़े पूरी खबर

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बेटा कह रहा था कि हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार होगा वहीं बेटी कह रही थी कि मुस्लिम परंपरा के हिसाब से मां को दफनाया जाएगा

हैदराबाद से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मंगलवार देर रात मां के अंतिम संस्कार को लेकर भाई-बहन में बहस होने लगी। महिला का बेटा कह रहा था कि हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार होगा वहीं बेटी कह रही थी कि मुस्लिम परंपरा के हिसाब से मां को दफनाया जाएगा। दोनों अलग-अलग धर्मों को मानते थे। दोनों में विवाद बढ़ गया और हैदराबाद के मदन्नापेट इलाके में तनाव पैदा हो गया। जब पुलिस ने लोगों को सड़क पर जमा होते हुए देखा तो मामले में हस्तक्षेप किया। पुलिस ने मामले की जांच की और दस्तावेजों के सत्यापन के बाद एक बीच का रास्ता निकाला।

असल में दरब जंग कॉलोनी में तब तनावपूर्ण माहौल हो गया जब पास के चादरघाट में रहने वाली 95 साल की महिला की मौत हो गई। मौत के बाद महिला का बेटा और पोता अपनी हिंदू परंपरा के अनुसार उसका अंतिम संस्कार करना चाहते थे। जबकि महिला की बेटी मुस्लिम तौर तरीके के हिसाब से मां को दफनाना चाहती थी। इसी को लेकर भाई-बहन में विवाद शुरू हो गया।

असल में महिला की 60 साल की बेटी ने दो दशक पहले इस्लाम कबूल कर लिया था। उसका कहना था कि वह पिछले 12 सालों से बीमार मां की देखभाल कर रही है और उसकी मां ने भी इस्लाम कबूल कर लिया है। उनकी अंतिम इच्छा थी कि इस्लाम की परंपरा के अनुसार उन्हें दफनाया जाए।

बेटी का कहना था कि “मेरी मां पिछले 12 सालों से मेरे साथ रह रही थी। मैं ही उसकी देखभाल कर रहा थी। किसी ने उसकी देखभाल नहीं की। हाल ही में मैंने 5 लाख रुपये में उसकी सर्जरी कराई। कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। मां ने कहा था कि उनकी मौत के बाद कोई उन्हें पूछने नहीं आएगा। उनका कहना था कि अंतिम संस्कार में उन्हें दफनाया जाएगा।” इसके बाद बेटी ने वीडियो और दस्तावेज़ पेश किए। जिससे अनुसार, उसकी मां ने जनवरी 2023 में इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था।

पुलिस ने सुलझाया मामला
इस मामले को लेकर सड़क पर दोनों पक्ष के लोग तैनात हो गए। देखते ही देखते वहां भीड़ जमा होने लगी। मामला बढ़ता देख पुलिस ने हस्तक्षेप किया और सौहार्दपूर्ण तरीके से समस्या का समाधान निकाला। बेटी का मन रखने के लिए उसके घर पर ही मृतक महिला के लिए अंतिम प्रार्थना की गई। इसके बाद शव के दाह संस्कार के लिए बेटे को सौंप दिया गया। दोनों भाई-बहन इस फैसले पर राजी हो गए। जिसके बाद तनाव खत्म हुआ और महिला का अंतिम संस्कार किया गया।

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