यहां मनमानी पर उतारू हो कर चिकित्सक कर रहे काम, पढ़ें कहां का और क्या है पूरा मामला

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जहां एक तरफ मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार स्वास्थ्य सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे पेश कर रही है वही दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में तैनात डॉक्टर्स अपनी मनमानी पर लगे हुए हैं जिसके चलते गरीब और मजदूर तबके के लोगों को स्वास्थ्य स्वास्थ्य संबंधी सुविधा पूर्ण रूप से नहीं मिल पा रही है ।

मामला मध्य प्रदेश के जिला दतिया का है जहां पर कई डॉक्टर सरकारी अस्पतालों सिर्फ नाम की सेवाएं दे रहे हैं और वहां से मोटा वेतन प्राप्त कर रहे हैं जिनमें मध्यप्रदेश शासन द्वारा डॉक्टर दिनेश उदैनिया को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज दतिया में अस्थाई रूप से डीन बनाया गया है लेकिन अक्सर देखा जाता है न्यूरोलॉजीकल विभाग के प्रोफेसर व मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ दिनेश उदैनिया मेडिकल कॉलेज दतिया में अपना समय न देकर अपने प्राइवेट क्लीनिक पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं आपको बता दें गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज मैं अस्थाई रूप से डॉक्टर दिनेश उदैनिया को डीन बनाया गया था लेकिन सभी सरकारी नियमों को ताक पर रखकर डॉक्टर दिनेश उदैनिया अपना एक प्राइवेट क्लीनिक भी चला रहे हैं जो क्लीनिक एम 121ए माधव नगर लश्कर ग्वालियर मध्य प्रदेश में स्थित है डॉक्टर दिनेश ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहां रजिस्ट्रेशन करा कर अपने क्लीनिक को धड़ल्ले से चला रहे हैं जिन्हें किसी भी सरकारी नियम कानून की कोई भी परवाह नहीं है।

वहीं मध्य प्रदेश सरकार के नियमानुसार स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक पदों पर रहने वाले डॉक्टरों को सरकार एनपीए देता है प्रशासनिक पदों पर रहने वाले डॉक्टर किसी भी प्रकार की प्रैक्टिस नहीं कर सकते सिर्फ सिर्फ घरों पर या फिर किसी स्थान पर मरीजों को परामर्श दे सकते हैं सेवानिवृत्त डॉ पी डी गुप्ता ने बताया है कि एनबीए नहीं लेने पर भी डॉक्टर गडरिया घर से बाहर चेंबर बनाकर सिर्फ मरीजों को परामर्श दे सकता है चेंबर में किसी भी प्रकार की जांच सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सकता अगर डॉक्टर एन पी लेता है तो वह मरीजों को अस्पताल के अलावा कहीं भी फीस लेकर परामर्श भी नहीं दे सकता।

पूर्व में इसी प्रकार के मामले में मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता ने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर बताया कि मेडिकल कॉलेज में पदस्थ चिकित्सकों द्वारा विभिन्न नामों से क्लीनिक का पंजीयन कराकर प्राइवेट प्रैक्टिस की जा रही है मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 16 उपनियम 4 के अनुसार कोई भी शासकीय सेवक किसी लोक नियम या किसी प्राइवेट व्यक्ति के लिए उसके द्वारा किए गये किसी भी कार्य के लिए विहित प्राधिकारी की मंजूरी के बिना फीस नहीं ले सकेगा डीन के पत्र में लिखा कि कॉलेज के पदस्थ किसी भी डॉक्टर को उनके निवास के अतिरिक्त क्लीनिक, नर्सिंग होम ,हॉस्पिटल संचालन की अनुमति दी गई तो उसे तत्काल निरस्त किया जाए।

लेकिन इस पत्र का कहीं भी कोई भी असर देखने को नहीं मिल रहा है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह भी है क्या यह पत्र केवल औपचारिकता है या फिर इस पत्र के आदेश को न मानने वाले डॉक्टर काफी ताकतवर हैं या फिर इस पत्र का नियम और कानून सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर दिनेश उदैनिया पर लागू नहीं होता ।