हरक सिंह रावत का आरोप सोशल मीडिया की भ्रांतियों की वजह से उन्हें भाजपा से निकाला गया

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उत्तराखंड की हरीश रावत की कांग्रेस सरकार को गिराने के मुख्यसूत्रधार और कद्दावर नेता हरक सिंह रावत की हनक अब काफी कम हो गई है। कभी यह खुद को मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार समझते थे और हरीश रावत की सरकार में नाक में दम किये रहते थे,किन्तु कहावत है कभी दूसरो के लिये कांटे बिछाने वालो को खुद भी इन काँटो पर चलने को मजबूर होना पढ़ रहा है। उनकी घर वापसी पर कांग्रेस में ही उनका प्रबल विरोध हो रहा है।       आप को बता दे कि हरक सिंह रावत को मुख्यमंत्री धामी ने बर्खास्त कर बाहर का रास्ता दिखा दिया है और भाजपा ने 6 साल के लिये निष्कासित कर दिया है। ऐसे में अब उनके पास सिवाए अपनी राजनीतिक ज़मीन बचाने के लिये कांग्रेस के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।        हरक सिंह रावत ने एक टीवी चैंनल से बातचीत में हरीश रावत को अपना बड़ा भाई बताते हुए उनसे माफ़ी मांगने की सार्वजनिक बात कही है। साथ ही खुद को कांग्रेस से टिकट न मिलने की स्थिति में अपनी बहु को टिकट मांगने की बात भी कही है।        कांग्रेस उनको फिर से पार्टी में शामिल करने को लेकर काफी उहापोह की हालत में है,क्यों कि कांग्रेस में एक ऐसा गुट है जो हरक सिंह रावत जैसे पार्टी विरोधी और षड्यंत्रकारी नेता को फिर से पार्टी में स्थान देने के मूड में नहीं है। ऐसे में हरीश रावत ने भी साफ़ कर दिया है कि उनको पार्टी में शामिल करने का फैसला आपसी बातचीत और सहमति के बाद ही लिया जायेगा। एक तरह से कांग्रेस उन्हें त्रिशंकु की हालत में रख रही है।        हरक सिंह रावत अपनी इस हालत के लिये सोशल मीडिया को जिम्मेदार मानते है,उनका आरोप है कि उसने पार्टी और उनकर बीच काफी गलतफहमिया पैदा की जिसके कारण उनके साथ ऐसा व्यवहार हुआ है।        वैसे सूत्रों का मानना है कि एक दो दिन में हरक सिंह रावत को कांग्रेस अपनी शर्तो पर शामिल कर सकती है, क्यों कि उनके आने से कांग्रेस को एक दो सीटों पर बढ़त हासिल हो सकती है। कांग्रेस किसी भी हालत में सत्ता में आने के लिये कोई भी समझौता कर सकती है।