टिकटों की घमासान से भाजपा और कांग्रेस में उठ रहा है विद्रोह का ज्वालामुखी कब शांत होगा

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उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भाजपा और कांग्रेस में टिकट बटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। टिकट के दावेदार नेता पार्टियों से त्यागपत्र देकर निर्दलीय ताल ठोकने का एलान करते घूम रहे है। लेकिन इनके खिलाफ किसी भी राजनीतिक दल ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखने का साहस नहीं किया है। ऐसे में यह बगावती नेता दोनों ही पार्टियों का खेल खराब करने में लगे हुए है।       सबसे ज़्यादा बगावत का बिगुल ऊधम सिंह नगर जिले की तराई में है, जिले की सबसे चर्चित सीट रुद्रपुर विधानसभा से वर्तमान विधायक राज कुमार ठुकराल का टिकट पहली घोषित भाजपा की लिस्ट से गायब होने के कारण चर्चा बनी हुई है। ऐसे में यहां से विधायक बनने चाह रखने वाले नेता दिल्ली दरबार से लेकर देहरादून तक शीश नवा रहे है। बगावती तेवरों के ट्रेलर भी आने शुरू हो गये है। ऐसे में इस सीट से भाजपा की जीत अब आसान नहीं दिख रही है।

Rajesh

      किच्छा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने कद्दावर नेता पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। उनके खिलाफ हरीश पनेरु ने निर्दलीय ताल ठोकने का एलान कर दिया है। लेकिन अभी तक कांग्रेस आला कमान ने कोई कार्यवाही नहीं की है। इससे पहले 2017 में जब यहां से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनाव मैदान में थे। तब भी असंतुष्ट विधायक बनने की चाह रखने वाले कांग्रेसी नेताओ ने भीतरघात करके उनको पराजित करवा दिया था। सब कुछ जानते हुए भी कांग्रेसी हाई कमान इसपर नकेल नहीं कस सका।

Cheema

     यही नहीं,भाजपा के घोषित प्रत्याशी राजेश शुक्ला की मुश्किलें भी कुछ कम नहीं हुई है। सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट धूम रही है कि उनके टिकट पर भी भाजपा कोर कमिटी की चार सदस्यीय टीम पुनर्विचार कर रही है ? कभी राजेश शुक्ला के करीबी रहे श्रीकांत राठौर ने भी उनके खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया है। दुसरे गोल टोपी को लेकर उनके विवादित बोल से भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा बगावत कर चुका है। इसके अलावा भाजपा के अजय तिवारी ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान  कर दिया है।      जिले के काशीपुर में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत का ज्वालामुखी फट पड़ा है। भाजपा की मेयर उषा चौधरी सहित दर्जनों भाजपाइयों ने पार्टी से त्यागपत्र देकर बगावती तेवर दिखा दिए है। कांग्रेस का भी यही हाल है।     बाजपुर में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी पूर्व मंत्री यश पाल आर्य के खिलाफ कांग्रेस की पीसीसी सदस्य सुनीता टम्टा ने मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में किसी भी पार्टी में बागियों की कोई कमी नहीं है।    लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आम मतदाताओं में इन बागियों में से किसकी ज़्यादा पकड़ है इसका फैसला को 10 मार्च को घोषित होने वाले परिणाम के बाद ही निकलेगा कि यह बागी वास्तव में जनप्रिये नेता थे या फुके हुए कारतूस थे ? बस इंतेज़ार कीजिये 10 तक जनता के फैसले का।