देवभूमि के इस वैज्ञानिक ने की आश्चर्यजनक खोज,
मेहनत सफलता की कुंजी है और इस बात को साबित किया है मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के मनझेरा गांव निवासी डॉ हेमंत पांडे ने।अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ में कार्यरत उत्तराखंड के डॉक्टर हेमंत पांडे ने लगभग 10 वर्ष के कठिन शोध के बाद 2011 में पहली बार सफेद दाग की दवा की खोज कर सबको आश्चर्यचकित किया है।
डॉ हेमंत पांडे की इस सफलता के लिए उन्हें साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। हेमंत पांडे का नाम देश विदेश के कई बड़े वैज्ञानिकों में शामिल है। हेमंत पांडे ने एक ऐसी दवा का आविष्कार कर दिखाया जिसे की असंभव माना जाता था।
यदि बात करें हेमंत की प्रारंभिक शिक्षा की तो हेमंत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पहाड़ से ही प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर से बीएसपी और डीएसबी परिसर से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में एमएससी की डिग्री हासिल की है।
इसके पश्चात उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल करी और उसके बाद डीआरडीओ में वैज्ञानिक के रूप में उनका चयन हुआ था।
हेमंत कि इस खोज से श्वेत कुष्ठ की लाईलाज बीमारी का इलाज अब संभव है।
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