फर्जी इंश्योरेंस करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई फ्रॉड करने वाले रैकेट का भंडाफोड़,  एसटीएफ ने आरटीओ के बाहर से चार को पकड़ा 

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एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ लोग बहुत ही कम रेट पर ऑनलाइन वाहन बीमा कर रहे हैं। यह बीमा पेमेंट एप और अन्य वेबसाइट के माध्यम से किया जा रहा है।
विस्तार
ऑनलाइन इंश्योरेंस में ट्रिक इस्तेमाल कर इंश्योरेंस संबंधी फ्रॉड करने वाले रैकेट का एसटीएफ ने भंडाफोड़ किया है। एसटीएफ ने आरटीओ देहरादून के बाहर से तीन दलाल समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पेमेंट एप और अन्य वेबसाइट के माध्यम से हो रही इस धोखाधड़ी में ये चारों करीब दो साल से शामिल थे। उनके इस काम से न सिर्फ आरटीओ प्रशासन को अंधेरे में रखा जा रहा था, बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपये के जीएसटी का चूना लगाया गया है। बताया जा रहा है कि देश में इस तरह की यह पहली कार्रवाई है।

एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ लोग बहुत ही कम रेट पर ऑनलाइन वाहन बीमा कर रहे हैं। यह बीमा पेमेंट एप और अन्य वेबसाइट के माध्यम से किया जा रहा है। जो लोग वाहन ट्रांसफर करवाते हैं या फिर फिटनेस आदि के लिए आते हैं उनके साथ यह किया जा रहा है। इसमें वाहन स्वामियों की भी मिलीभगत होती है। इस पर एसटीएफ ने जाल बिछाया और आरटीओ देहरादून के बाहर पड़ताल की। पता चला कि वहां पर बीमा कराते वक्त चार पहिया वाहन का नंबर वास्तविक फीड किया जाता है। लेकिन, भुगतान की गणना के वक्त उसने वाहन का प्रकार दोपहिया कर दिया जाता है।
ऐसे देते हैं धोखाधड़ी को अंजाम
काफी समय से इंश्योरेंस कंपनियों ने ऑनलाइन सर्विस शुरू की हुई है। लेकिन कोविड के दौरान इसे पेमेंट एप के माध्यम से भी शुरू कर दिया गया था। सभी 24 जनरल इंश्योरेंस कंपनियां इस सेवा को दे रहीं थी। अब चालबाजों ने भी इसमें ट्रिक ढूंढ ली। वह इस तरह कि यदि ठग फोन पे पेमेंट एप से इंश्योरेंस करना चाहते हैं। तो सबसे पहले फोन पे पर इंश्योरेंस सेक्शन में क्लिक करना होता है। वहां पर फोर व्हीलर और टू व्हीलर इंश्योरेंस का ऑप्शन होता है। इसमें फोर व्हीलर न चुनकर टू व्हीलर चुन लिया जाता है। इसके खुलते ही वहां पर नंबर फोर व्हीलर का डाल दिया जाता है। इसके बाद किसी भी कंपनी का कोई भी मॉडल उसमें भर दिया जाता है। इसके हिसाब से ही प्रीमियम की गणना हो जाती है। इसके बाद ऑनलाइन भुगतान किया जाता है और कवर नोट का प्रिंट निकाल लिया जाता है। इस पर तो यह टू व्हीलर लिखा होता है लेकिन इसे फोटो शॉप के माध्यम से फोर व्हीलर कर दिया जाता है
करोड़ों की जीएसटी चोरी का अनुमान
इस मामले में जीएसटी की चोरी भी हो रही है। इसका आंकलन अभी तक नहीं है कि अब तक कितने की चोरी की गई है। उसे समझने के लिए मान लें कि किसी को कार, ट्रक अन्य किसी बड़े वाहन का बीमा कराना है। उसके बीमे का प्रीमियम मान लो कि 20 हजार रुपये होता है तो इस पर 18 फीसदी के हिसाब से 3600 रुपये जीएसटी सरकार को देना होता है। लेकिन, मोटरसाइकिल का तो बीमा प्रीमियम तकरीबन 500 से दो हजार रुपये तक ही आता है। ऐसे में सरकार को जीएसटी केवल 90 रुपये से लेकर 360 रुपये तक ही दिया जाता है। इस हिसाब से कई सालों में यह आंकड़ा करोड़ों रुपये का हो सकता है।

दरअसल, किसी भी वाहन को ट्रांसफर कराने, वाहन की एनओसी लेने या फिटनेस कराने पर बीमा होना जरूरी होता है। चूंकि, कई बार वाहन पुराना होता है। यही नहीं कुछ लोग इसे केवल खानापूर्ति ही मानते हैं। ऐसे समय में लोगों की मर्जी से ही इस काम को अंजाम दिया जाता है। इन कामों के लिए बीमा की स्थिति ऑनलाइन ही देखी जाती है। आरटीओ में भी जब चेक किया जाता है तो वाहन बीमित ही दिखाई देता है। इसे भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय के पोर्टल पर देखा जाए तो यह इंश्योर्ड ही दिखाई देता है।