कलयुग का श्रवण कुमार दो भाई एक तरफ कांवड़।दूसरी तरफ मां को कंधे पर बैठाकर हरिद्वार से शुरू करी यात्रा पढ़ें पूरी खबर

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रुड़की

स्टोरी , कलयुग का श्रवण

एंकर , श्रवण कुमार की कहानी आपने किस्सों और किताबों में पढ़ी होंगी पर हम आपको कलयुग के ऐसे श्रवण से रु बरु करा रहे हैं जो कांवड़ के साथ साथ अपनी माँ को भी कंधों पर बिठा कर हरिद्वार से निकल चुके है

वैसे तो कांवड़ यात्रा के दौरान करोड़ो शिवभक्त आते है और अलग अलग तरीकों से जल और कांवड़ लेकर अपने अपने गंतव्य तक पहुंचते है पर उत्तरप्रदेश के कैराना के दो भाई अपनी माँ को कांवड़ में बैठा कर हरिद्वार से अपने गंतव्य के लिए निकले है रुड़की पहुँचे इन भाइयों भाइयों ने बताया कि वह अपनी माँ को हरिद्वार स्नान कराने लाये थे वह तीन जुलाई को हरिद्वार से निकले और 15 जुलाई तक अपने घर पहुंच जाएंगे दोनों शिव भगतों का कहना है कांवड़ भले ही कितनी भारी क्यों ना हो भोले की शक्ति से सबकुछ सम्भव हो जाता है इसी लिए वह कांवड़ में एक तरफ अपनी माँ को और एक तरफ जल को ले जाकर अपनी माँ की और शिवशंकर की इच्छा को पूरी करने का काम कर रहे है