मां का मंगलसूत्र बेचकर एआरटीओ पहुंचा युवक चालान छुड़ाने उसके बाद क्या हुआ पढ़ें पूरी खबर

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के महराजगंज एआरटीओ ऑफिस में बुधवार को चालान की रकम चुकाने के लिए पिता द्वारा बेचे गये मां के मंगलसूत्र की रकम लेकर एक युवक पहुंचा। मजबूर युवक की पूरी दास्तां सुनने के बाद एआरटीओ आरसी भारतीय भावुक हो गये।उन्होंने अपनी जेब से गाड़ी का इंश्योरेंस कराया। चालान की रकम भी खुद जमा की।
एआरटीओ ने मजबूर युवक को पढ़ने के लिए कुछ कैश भी दी। बहनों की शादी में मदद करने का भरोसा दिया। एआरटीओ रमेश चंद्र भारतीय अपने ऑफिस में बैठकर कामकाज निपटा रहे थे। इस दौरान सिंहपुर ताल्ही गांव का रहने वाला विजय नाम का युवक पहुंचा। वह एआरटीओ को देखते ही फफक कर रोने लगा। एआरटीओ ने उसे सम्मान पूर्वक कुर्सी पर बिठाकर पहले पानी पिलाया। एआरटीओ को बताया कि उसके पिता टेम्पो चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं। आपके द्वारा आठ जून को गाड़ी का चालान कर दिया गया था।
युवक ने कहा कि गाड़ी को सीजकर पुरंदरपुर पुलिस स्टेशन में भेज दिया गया है। इसमें 24,500 रुपये का चालान काटा गया है। पूरा पैसा नहीं हो पाया है। पिता ने मां का मंगल सूत्र बेचकर किसी तरह से 13 हजार रुपये जुटाए हैं। इसे जमा कर लीजिए। बाकी रकम के लिए कुछ जमीन है, बेचने के लिए ग्राहक ढूंढ रहे हैं। जमीन बिक जायेगी तो बाकी रकम को भी जमा कर देंगे।मंगलसूत्र बिकने की बात सुनकर एआरटीओ की आखें भी डबडबा गईं। उन्होंने परिवार के अन्य लोगों के बारे में पूछा तो युवक ने बताया कि घर में छह बहनें हैं। पांच बहनों की शादी करनी है। बहनों की शादी के लिए पढ़ाई छोड़कर खुद मजदूरी करनी शुरू कर दी है।

मां को लौटा दो मंगलसूत्र, पिता से बोलना खेत न बेचें
एआरटीओ ने युवक से कहा कि जो पैसे लाए हो उसे लेकर जाओ व मंगलसूत्र छुड़ा कर मां को दे देना। पिता को कहना कि वह खेत न बेचें। उन्होंने अपने पास से 17 हजार रुपये युवक को दिया। कहा कि तुम पढ़ाई करो। युवका का मोबाइल नंबर लेकर और खुद का नंबर देकर कहा और जरूरत पड़े तो बताना। जब बहनों की शादी करना तो बताना। एआरटीओ ने युवक की गाड़ी के चालान की रकम को खुद जमा किया। साथ ही गाड़ी का इंश्योरेंस कराया।
एआरटीओ आरसी भारतीय ने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे की मजबूरी का समझना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नियम कानून से हटकर काम किया जाए। जो युवक ऑफिस में आया था उसकी गाड़ी का नियम और कानून के तहत चालान किया गया था। उस समय हमने अपने विभागीय दायित्वों का निर्वहन किया था। नियम व कानून ने अपना काम किया था। किसी मां का मंगलसूत्र बिकना दुखदायी है।
आभार सोशल मीडिया