कश्मीर पंडितों के नरसंहार के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें किस हिंदूवादी नेता ने कहांफारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती

खबर शेयर करें

वर्ष 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के असली गुनहगार वह राजनीतिक पार्टी है, जिसकी उस समय सरकार थी। उस पार्टी के मुखिया धृतराष्ट्र की तरह नरसंहार देखते रहे। न तो उस नरसंहार रोकने का प्रयास किया गया और न ही बाद में इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। आज जब द कश्मीर फाइल्स फिल्म के जरिये उस अमानवीय कृत्य के लिए आइना दिखाया गया तो नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान डा. फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी की मुखिया व कुछ कांग्रेसी ओछी राजनीति कर रहे हैं। उन्हेें कश्मीर पंडितों से काफी मांगनी चाहिए। ये बातें हिंदूवादी भाजपा नेता राजू चंदेल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।
चंदेल ने कहा कि ये कश्मीरी नेता नरसंहार पर 1990 से आज तक ओछी राजनीति करते आ रहे हैं। द कश्मीर फाइल्स कोई काल्पनिक कहानी पर आधारित फिल्म नहीं है। यह हकीकत है। इन नेताओं को कश्मीरी पंडितों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। जवाब देना चाहिए कि आज तक इन्होंने कश्मीरी पंडितों की सलामती घर वापसी के लिए कोई ठोस पहल क्यों नहीं की गई। चंदेल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में जल्द ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी और सम्मानपूर्वक कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की जाएगी। उनकी जमीन और मकान की सुरक्षा की जाएगी।

राजू चंदेल ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए यह एक सुनहरा मौका है। आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर जम्मू कश्मीर के हिंदू भाई भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट डालें और भाजपा की सरकार बनाएं। फिर जम्मू कश्मीर में रामराज्य स्थापित होगा। भाजपा की सरकार बनने पर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा और प्रदेश का तेज गति से विकास होगा। रोजगार के अवसर पैदा होंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार

गुनाह करने वाले की तरह देखने वाले भी गुनहकार : हिंदूवादी नेता राजू चंदेल ने कहा कि जिस वक्त कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम हो रहा था, उस समय पीडीपी, नेकां और कांग्रेस मूकदर्शक बनी हुई थी। गुनाह करने वालों के समान ही गुनाह देखने वाले भी गुनहगार होते हैं। उस वक्त इन्हीं की सरकार थी। ये सब गूंगे-बहरे होकर तमाशा देखते रहे। कश्मीरी पंडित कश्मीर से अपनी जान बचाकर भागते रहे। इन्होंने कुछ भी नहीं किया।