लालकुआं ब्रेकिंग -लालकुआं विधानसभा में “पैराशूट प्रत्याशियों”को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म, बोले मतदाता हमें चाहिए अपने बीच का ही नेता, नही तो होगा विरोध-(पढ़े पूरी खबर)


लालकुआं -विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं,लालकुआं की सियासत में “पैराशूट प्रत्याशी” शब्द चर्चा के केंद्र में है। जनता और स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच यह भावना तेज़ी से उभर रही है कि बाहरी नेताओं को थोपने की परंपरा खत्म होनी चाहिए।

लालकुआं के मतदाताओं ने साफ संदेश दे दिया है जो हमारे बीच का है, वही हमारा नेता बने। लोगों का कहना है कि जो नेता चुनाव के समय “पैराशूट” से उतरकर आते हैं, वे न तो जनता की नब्ज़ समझते हैं और न ही उनकी तकलीफें।
बताते चले कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकट बंटवारे को लेकर मंथन जारी है। भाजपा खेमे से नवीन दुम्का और मोहन सिंह बिष्ट,उमेश शर्मा,देवेंद्र बिष्ट उर्फ देबू जैसे स्थानीय चेहरे चर्चा में हैं, जबकि कांग्रेस खेमे में हेमवती नंदन दुर्गापाल, हरेंद्र बोरा और प्रमोद कालोनी, कुंदन मेहता को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। जबकि निर्दलीय के रूप में महिला नेत्री संध्या डालाकोटी का नाम सबसे उपर है । वही स्थानीय जनता का कहना है कि इन नेताओं ने सालों से क्षेत्र की समस्याओं के बीच रहकर काम किया है, इसलिए ऐसे प्रत्याशी ही जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतर सकते हैं।
क्षेत्र के लोगों का मानना है कि बाहरी प्रत्याशी केवल चुनाव के समय दिखाई देते हैं, जबकि स्थानीय नेता हमेशा जनता के सुख-दुख में साथ खड़े रहते हैं। एक दुकानदार मतदाता ने कहा कि जो नेता चुनाव के वक्त पैराशूट से उतरते हैं, वे जनता की जमीन की सच्चाई कभी नहीं समझ सकते। मतदाताओं का साफ कहना है कि लालकुआं बाहरी नेताओं के प्रयोग की प्रयोगशाला नहीं है।
दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं में भी गहरा असंतोष देखा जा रहा है। उनका कहना है कि यदि किसी पैराशूट प्रत्याशी को टिकट दिया गया, तो संगठन में बगावत तय है। कई कार्यकर्ता खुले तौर पर कह रहे हैं कि वे बाहरी उम्मीदवारों के बजाय अपने स्थानीय नेता के साथ ही खड़े रहेंगे, चाहे उन्हें पार्टी लाइन से अलग ही क्यों न जाना पड़े।
ग्राम पंचायतों की चौपालों से लेकर सोशल मीडिया तक एक ही आवाज़ गूंज रही है — अबकी बार, लालकुआं का ही नेता। जनता का कहना है कि उन्हें ऐसा जनप्रतिनिधि चाहिए जो वर्षों से उनके साथ रहा हो, जिसने जनता की समस्याओं को सुना और हल करने की कोशिश की हो। अब लोग पार्टी नहीं, उम्मीदवार की पहचान और जमीनी जुड़ाव देखकर वोट करने के मूड में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लालकुआं विधानसभा का यह चुनाव स्थानीयता बनाम बाहरी प्रभाव की निर्णायक लड़ाई साबित होगा। जनता अब जाति, धर्म या दल से ऊपर उठकर विकास और अपने प्रतिनिधि की सच्चाई को प्राथमिकता दे रही है।
स्पष्ट है, लालकुआं की जनता अब पैराशूट प्रत्याशियों को नहीं, बल्कि अपने बीच के जमीनी और सच्चे नेता को चाहती है।

लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 फ़ेसबुक पर पेज को लाइक और फॉलो करें