जानिए कौन हैं मोहन सिंह बिष्ट जिन्होंने हरीश रावत को दी शिकस्त

खबर शेयर करें

उत्तराखंड चुनाव के नतीजे लगातार सामने आ रहे हैं और कांग्रेस के लिए बेहद चिंताजनक खबर यह आई कि पूर्व सीएम हरीश रावत इस बार भी चुनाव हार गए. हरीश रावत इस बार लालकुआं सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए थे, जहां उनका विरोध भी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किया था. कांग्रेस से टिकट पाने की आस लगाए बैठीं संध्या डालाकोटी ने पार्टी के खिलाफ बगावत भी कर दी थी. बहरहाल, अब चुनाव के नतीजे सामने आए हैं और हरीश रावत को बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने हरा दिया है. क्या आपको पता है कि बिष्ट वो नेता हैं, जिन्हें भाजपा ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाला था, लेकिन चुनाव से ऐन पहले वह पार्टी में लौटे.हरीश रावत 2017 में दो सीटों से चुनाव हारे थे और इस बार फिर नहीं जीत सके यानी एक के बाद एक तीन हार उनके खाते में दर्ज हो गई हैं. इस बार उन्हें हराने वाले मोहन सिंह बिष्ट के बारे में पहले आपको बताते हैं. भाजपा के प्रत्याशी बिष्ट लालकुआं सीट के ही हल्दूचौड़ इलाके से ताल्लुक रखने वाले नेता हैं, जिन्हें ज़मीनी आधार वाला चेहरा माना जाता है. अपने बड़े भाई इंदर सिंह बिष्ट के खिलाफ उन्होंने 2019 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा था और जीता भी था. इसी कारण उनके रिश्ते भाजपा से बिगड़े भी थे.बीजेपी से निकाले गए, लेकिन फिर हुई एंट्री
भाजपा ने जिला पंचायत चुनाव में भाजपा ने इंदर सिंह को कैंडिडेट बनाया था, लेकिन बागी हुए मोहन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा को हरा दिया. तब भाजपा ने उन्हें पार्टी से 6 सालों के लिए निकाल दिया था, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव के टिकट बांटे जाने से ऐन पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पार्टी में उनकी वापसी करवाई थी. तबसे माना जा रहा था कि वह चुनाव लड़ेंगे और उन्हें ही टिकट मिला.छात्र जीवन से ही छात्र राजनीति में प्रवेश करने वाले मोहन सिंह उत्तराखंड सहकारी डेयरी फाउंडेशन के प्रमुख भी रह चुके हैं. जनसंपर्क के लिहाज़ से उन्हें ज़मीनी नेता कहा जाता है और लोगों से उनके संपर्क जीवंत बताए जाते हैं. हरीश रावत को हराने के बाद माना जा सकता है कि भाजपा की सरकार में उन्हें प्रमुखता मिलना तय है