जानिए किस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि यह शरीयत कानून नहीं है, पाकिस्तानी कानून है, भारत पर कैसे लागू होता है?

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दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला को याचिका में किये गए अपने दावे से संबंधित दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है। महिला ने याचिका दायर कर कहा कि एक मुस्लिम पति को दूसरी शादी करने से पहले मौजूदा पत्नी से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने महिला के वकील बजरंग वत्स से कहा कि को यह दिखाने के लिए दस्तावेज पेश करे कि शरीयत कानून के तहत एक मुस्लिम पति अपनी सभी पत्नियों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है।

महिला की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश जहां मुस्लिम पर्सन कानून (शरीयत) आवेदन अधिनियम लागू है, वहां मुस्लिम पति द्वारा द्विविवाह या बहुविवाह को विनियमित किया गया है। इस पर पीठ ने कहा कि यह शरीयत कानून नहीं है यह प्रथागत कानून नहीं है। यह पाकिस्तानी कानून है। यह भारत पर कैसे लागू होता है?

पीठ ने आगे कहा कि हमें दिखाएं कि भारतीय कानून कहां कहता है कि किसी अन्य महिला से शादी करने से पहले मौजूदा पत्नी की सहमति पति को लेनी होगी। पीठ ने महिला के अधिवक्ता को इस मामले पर कानून और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 29 तक के लिए स्थगित कर दी। महिला ने याचिका में कहा कि उसके पति ने उसे उसके 11 महीने के बच्चे के साथ छोड़ दिया है। महिला ने दावा किया कि उसे पता चला कि उसका पति उसे तलाक देकर किसी और से शादी करने की योजना बना रहा है।