जानिए राधा कृष्ण के प्रेम के बारे में

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नारद जी भगवान कृष्ण से बहुत प्रेम करते थे। जब नारद जी ने तीनों लोकों में राधा की स्तुति सुना तो वह बहुत ही चिंतित हो गए। बहुत सोचने लगे कि राधा में ऐसा क्या है कि उसकी स्तुति पूरे जगत में हो रही है? इसका जवाब पाने के लिए नारद जी ने कृष्ण जी के पास जाने का निर्णय लिया।

इस सवाल का उत्तर पाने के लिए वह भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे। परंतु वहां पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि कृष्ण जी के सर में बहुत ही पीड़ा हो रही थी। जब नारद जी ने उस पीड़ा के लिए उपचार पूछा तो कृष्ण जी ने उत्तर दिया यदि मेरा कोई भक्त अपना चरणोदक (चरणों को धोया हुआ पानी) मुझे पिला दे तो मेरी या पीड़ा कम हो जाएगी।

नारद चिंता में पड़ गए उन्होंने सोचा अगर कोई भक्त अपने भगवान को अपना चरणोदक दिलाएगा तो वहां तो नर्क में चले जाएगा। उसके बाद नारद जी भगवान श्री कृष्ण जी की पत्नी रुकमणी जी के पास पहुंचे। नारद जी ने रुक्मणी को सारी बात बताई। रुकमणी जी ने अपना चरणोदक देने से मना कर दिया यह कहते हुए की देव ऋषि यह तो पूर्ण पाप है।

उसके बाद नारद जी सीधे राधा के पास पहुंचे। राधा को भी नारद जी ने सारा हाल कह सुनाया। राधा ने सुनते ही एकमात्र में पानी लिया और उसमें अपने पैर दबा दिए। अपने पैरों को थोड़े हुए पानी कोई छोटे पात्र में भरकर राधा नारद जी से बोली इसे तुरंत कृष्ण के पास ले जाओ। और वह बोली मैं जानती हूं यह घोर पाप है मुझे न मिलेगा परंतु अपने प्रिय के जीवन के सुख और स्वस्थ जीवन के लिए मैं इससे भी अधिक दुख भोगने के लिए तैयार हूं। सुनकर नारद जी सब समझ गए। उन्हें ज्ञात हो गया की राधा कृष्ण की प्रेम की स्तुति पूरे ब्रह्मांड में क्यों गाए जा रहे हैं। यह राधा कृष्ण की दिल छू लेने वाली एक कहानी है जिससे साफ पता चलता है राधा का कृष्ण के प्रति अपार प्रेम।