पांडवों की इस धार्मिक कथा में है बहुत बड़ी सीख, 1 बार जरूर पढ़ें

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पांडवों और कौरवों को शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा देते हुए एक बार गुरु द्रोणाचार्य को उनकी परीक्षा लेने का ख्याल आया। दूसरे दिन आचार्य ने दुर्योधन को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम एक अच्छा आदमी ढूंढकर ले आओ।

दुर्योधन अच्छे आदमी की खोज में निकल गया। कुछ दिनों बाद वापस दुर्योधन आचार्य के पास आया और कहा कि मैंने कई नगरों और गांवों का भ्रमण किया, लेकिन मुझे कहीं भी कोई अच्छा आदमी नहीं मिला।

इसके बाद आचार्य द्रोण ने युधिष्ठिर को बुलाया और कहा कि कोई बुरा आदमी ढूंढकर लाओ। युधिष्ठिर ने कहा कि आचार्य मैं कोशिश करता हूं। काफी दिनों बाद वह लौटकर आए तो आचार्य से कहा कि मैंने धरती के कोने-कोने में बुरा आदमी खोजा, लेकिन मुझे कोई बुरा आदमी नहीं मिला इसलिए मैं खाली हाथ लौट आया। इसके बाद सभी शिष्यों ने गुरु द्रोणाचार्य से पूछा कि आचार्य ऐसा क्यों हुआ कि दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं मिला।

आचार्य ने इस सवाल का जवाब दिया और कहा कि जो इंसान जैसा होता है उसको दुनिया में सभी वैसे ही दिखाई देते हैं इसलिए दुर्योधन को कोई अच्छा आदमी नहीं मिला और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं मिला।