यहां होती है किन्नरों की धूम-धाम से शादी, लेकिन अगले ही दिन हो जाती है विधवा पढ़ें पूरी खबर

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हमारे देश में कई ऐसे अजीबोगरीब परंपराएं हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं। इनके बारे में जानकर आप हम हैरान हो जाते हैं। कुछ इसी तरह से एक परंपरा भारत के तमिलनाडु में सदियों से चली आ रही है। जहां पर किन्नरों का विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। 18 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव के 17वें दिन किन्नरों की शादी की जाती है। लेकिन ऐसा क्या होता है कि अगले ही दिन इनका सुहाग उजड़ जाता है और यह विधवा हो जाती है। आइए आपको बताते हैं किन्नरों की शादी के पीछे की वजह क्या है….

1 दिन के लिए सुहागन बनती है किन्नर
दरअसल, तमिलनाडु में जब तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है, तो पहली पूर्णमासी से किन्नरों के विवाह उत्सव की शुरुआत हो जाती है। 18 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के 17वें दिन सभी किन्नर अपने भगवान इरवान के साथ धूमधाम से शादी रचाती हैं। इस दौरान वो सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने इष्ट की दुल्हन बनती है। बकायदा उनके सात फेरे होते हैं। इतना ही नहीं शादी के बाद इन किन्नरों का जुलूस भी निकाला जाता है, जहां वह अपने भगवान को पूरे शहर में घूमाते हैं।

अगले दिन ही हो जाती है विधवा
किन्नरों के विवाह उत्सव के आखिरी यानि की 18वें दिन यह किन्नर विधवा हो जाती हैं। दरअसल, जिन भगवान के साथ यह धूमधाम से शादी रचा दी हैं उन्हीं भगवान इरवान की मूर्ति को तोड़कर वह विधवा हो जाती हैं और विधवा की तरह ही विलाप करने लगती है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा तर्क दिया जाता है।

महाभारत के समय हुई थी शुरुआत
इस अजीबोगरीब परंपरा के पीछे कहा जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत के युद्ध के दौरान हुई थी। जब पांडवों ने मां काली की पूजा की और पूजा के बाद एक राजकुमार की बलि देना था। अपनी बलि देने के लिए राजा इरवान तैयार तो हुए, लेकिन उनका कहना था कि वह शादी किए बिना बलि नहीं देंगे। ऐसे में 1 दिन के लिए राजकुमार इरवान से शादी कौन करता। फिर भगवान कृष्ण ने मोहिनी रूप धारण किया और इरवान से विवाह किया। अगले दिन इरवान की बलि दे दी गई और भगवान श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया। तब से हर साल किन्नर भी इस दिन अपने इष्ट देव इरवान से शादी करती हैं और अगले ही दिन विधवा हो जाती हैं।
आभार सोशल मीडिया