सितारगंज राम भक्ति में लीन प्रेमपाल पिछले 35 वर्षों से रामलीला में पात्रों का कर रहे हैं मेकअप

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रिपोर्टर नवीन भट्ट निराला सितारगंज

राम भक्ति में लीन सितारगंज के प्रेम राम पिछले 35 वर्षों से पात्रों का कर रहे हैं रामलीला में पात्रों का मेकअप

सितारगंज-रामलीला मंचन के दौरान सजधज कर अभिनय करने वाले पात्र सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन, पात्रों को सजाने और उन्हें मंच में अभिनय करने के लिए तैयार करने वालों की ओर शायद ही किसी की नजर रहती हो पर्दे के पीछे भी होती है गजब की लीला
रामलीला के पात्रों को तैयार करना एक विशेष कला तो है ही साथ ही यह कार्य काफी मेहनत का भी है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि मात्र दो घंटे की लीला का मंचन करने वाले पात्रों का मेकअप करने में पूरे चार घंटे का समय लगता है
दिन की लीला का मंचन कराने की तैयारी दोपहर 12 बजे शुरू हो जाती है। सितारगंज उत्तरांचल सांस्कृतिक विकास समिति के तत्वाधान में आयोजित पर्वतीय रामलीला में सितारगंज के प्रेम राम राम की भक्ति में इस कदर लीन हो गए कि पिछले 35 वर्षों से पर्दे के पीछे रहकर कलाकारों का मेकअप कर रहे हैं यही नहीं ढलती उम्र को देखते हुए अब अपने पुत्र विनय आर्य को भी मेकअप की कलाकारी के गुण सिखा रहे हैं तथा कलाकारों के मेकअप की जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। मेकअप मैन प्रेम राम ने बताया कि रामलीला के पात्रों का मेकअप करते समय पहले मुद्रासन नामक पदार्थ से उनकी फेस मेकिंग की जाती है।

मुद्रासन सूखने के बाद गालों, आंखों, ठोढ़ी पर रूज लगाया जाता है। उसके बाद पाउडर से फिनिशिंग दी जाती है। हल्के गोंद के सहारे चेहरे में चमक लाने के लिए चमकी का प्रयोग किया जाता है। अंत में खड़े तिलक वाले पात्रों के माथे पर लाल रंग का ‘श्री’ और तिरछे तिलक वाले पात्रों के माथे पर पीले चंदन का त्रिकुंड बनाया जाता है।

अंत में पात्रों को वस्त्र, बाल, मुकुट, मालाएं आदि पहनाए जाते हैं। प्रत्येक कलाकार को तैयार करने में करीब 20 मिनट का समय लगता हे। लेकिन मुख्य पात्रों को तैयार करने में लंबा समय लगता है प्रेम राम कहते हैं कि पहले पहले अभावों में रामलीला होती थी लेकिन लोगों में भाव गजब के थे प्रेम राम कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है अब वक्त बदल चुका है पहले के समय में उन दिनों रोज आदि की व्यवस्था नहीं होने से जिंक आक्साइड को गोले के तेल में मिलाया जाता था। उसमें लाल रंग मिलाकर उसे गुलाबी बनाया जाता था। श्याम वर्ण के कलाकारों के लिए जिंक आक्साइड, गोले का तेल और नील मिलाकर श्याम रंग बनाया जाता था प्रेम राम कहते हैं कि ताउम्र मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी की सेवा करते रहूंगा मुझे बेहद प्रसन्नता होती है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी की कृपा से वर्षों से जिन पात्रों का मैं पर्दे के पीछे मेकअप करता हूं वह पात्र शानदार अभिनय करते हैं प्रेम राम जी कहते हैं कि पर्दे के पीछे भी एक लीला होती है जो गजब की लीला है क्योंकि पर्दे के पीछे की लीला यदि तैयार नहीं होगी तो मंच में अभिनय करना बहुत कठिन हो जाता है इसीलिए पर्दे के पीछे की लीला में बेहद ही आनंद है वही प्रेम राम के पुत्र विनय कहते हैं कि मुझे बहुत प्रसंता होती है पिछले कुछ वर्षों से पिताजी के साथ मेकअप के गुण सीख रहा हूं आगे भी इसी तरह पिताजी की विरासत को संभालूगा। संपादक ब्यूरो विनोद कुमार अग्रवाल