3 दशक के राजनीतिक सफर में पहली बार हरक चुनाव के मैदान से बाहर, क्या 2024 और 2027 का करेंगे इंतजार?

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देहरादून : भाजपा कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है।वहीं दिलों की धड़कनें एक नाम को लेकर खासा बढ़ीवो नाम है हरक सिंह रावत का। लिस्ट जारी होने से पहले सबको उम्मीद थी कि कांग्रेस हरक सिंह रावत को चौबट्टाखाल से टिकट जरुर देगी और सतपाल महाराज को वो कड़ी टक्कर देंगे लेकिन बीते दिनों जब कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की तो हरक सिंह रावत का नाम गायब था जिससे साफ हो गया कि हरक सिंह रावत को टिकट नहीं दिया गया है। कांग्रेस ने लैंसडाउन से उनकी बहू को टिकट दिया तो वहीं चौबट्टाखाल से केसर सिंह नेगी को टिकट दिया। तो वहीं कोटद्वार से पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को टिकट दिया गया है।


तीन दशक के रातनैतिक सफर में पहली बार हुआ ऐसा
बता दें कि जैसे ही चौबट्टाखाल से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में केसर सिंह की घोषणा हुई तो तस्वीर साफ हो गई कि हरक सिंह रावत चुनाव नहीं लड़ेंगे। हरक सिंह रावत के तीन दशक के रातनैतिक सफर में पहली बार हुआ है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस बार हरक सिंह रावत ने बहू के लिए लड़ाई लड़ी और अनुकृति को टिकट दिलवाकर ही माने। लोग इसके लिए उनकी तारीफ भी कर रहे हैं तो कई लोग उन्हें कांग्रेस में जाने पर कोस रहे हैं।


हरक सिंह रावत लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे?
आपको बता दें कि हरक सिंह ने 1991 से अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत की थी। तीन दशक में पहली बार हुआ है जब वो चुनाव के मैदान से बाहर हैं।वहीं अब सवाल उठ रहा है कि क्या चुनावी मैदान में उतरने के लिए हरक सिंह 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या 2027 तक इंतजार करेंगे? 2024 में भी लोकसभा का टिकट हासिल करने के लिए उन्हें 2019 के लोकसभा प्रत्याशी मनीष खंडूडी से मुकाबला करना होगा। मनीष 2019 में गढ़वाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं।


पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर पौड़ी सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता। 1993 में भी वो पौड़ी से चुनाव लड़े। 1996 में उन्होंने अपनी पार्टी जनता मोर्चा बनाई। लेकिन वो पौड़ी से चुनाव हार गए। इसके बाद वे बसपा में शामिल हुए और यूपी में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष बने। 2002, 2007 में कांग्रेस के टिकट पर लैंसडोन से विधायक बने। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर रुद्रप्रयाग से विधायक बने। 2016 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। 2017 में भाजपा के टिकट पर कोटद्वार से विधायक बने। 2022 में फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।