छह दिन तक उत्‍तरकाशी के जंगलों में अकेला भटका अमेरिकी नागरिक, तीन दिन यूरिन से बुझाई प्यास

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डोडीताल की ट्रैकिंग के दौरान बीते 17 अगस्त को रास्ता भटके भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राजीव राव (62 वर्ष ) मंगलवार को भले ही सकुशल रेस्क्यू कर लिए गए, लेकिन घने जंगल के बीच यह छह दिन और पांच रातें उन पर बहुत भारी गुजरीं। इस दौरान ऐसा भी मौका आया, जब उन्हें अपनी यूरिन (Urine) को बोतल में भरकर कंठ गीला करना पड़ा। इस अवधि में वह माउथ आर्गन बजाकर जंगल के काट खाने वाले सन्नाटे को तोड़ने की कोशिश करते रहे।

देवडोली यात्रा में हुए थे शामिल

राजीव राव बताते हैं कि बीते तीन महीने से वे उत्तरकाशी जिले के गणेशपुर गांव में रह रहे थे। बीते 17 अगस्त को डोडीताल के लिए गणेशपुर गांव की देवडोली यात्रा रवाना हुई, जिसमें वह भी पत्नी कोनीजो राव के साथ शामिल हुए।

जंगल की तरह बढ़ गए राजीव

डोडीताल से करीब आठ किमी पहले मांझी के पास वह कुछ दूरी तक यात्रा के आगे-पीछे चलते रहे। लेकिन फिर वह मांझी से डोडीताल की ओर जाने वाले रास्ते के बजाय जंगल को जोड़ने वाले रास्ते की ओर बढ़ गए।

नींद ना आने पर माउथ आर्गन लगे बजाने

इसके बाद उन्हें सही रास्ता नहीं मिल पाया। अब अंधेरा घिर चुका था, सो वह सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उनके पास बिछाने के लिए सिर्फ सीमेंट के खाली कट्टे थे। रात घनी हो गई थी और उन्हें नींद नहीं आ रही थी, इसलिए माउथ आर्गन बजाने लगे, जिसे वह साथ लेकर चल रहे थे।

मेरा अनुमान निकला गलत : राजीव

बकौल राजीव, भोर की बेला में मेरी आंख लग पाई। सुबह जागने पर मैंने अनुमान लगाया कि डोडीताल (Dodital) ऊपर की पहाड़ी की ओर होगा। क्योंकि, मैं बीते वर्ष भी डोडीताल गया था। लेकिन, मेरा अनुमान गलत निकला। मैं सचमुच रास्ता भटक चुका था।

पीने का पानी भी हो चुका था खत्म

चलते-चलते दूर जंगल में मुझे बकरी पालक नजर आए। उन्हें आवाज दी, लेकिन दूर होने के कारण आवाज वह तक नहीं पहुंच पाई और मैं भी बकरी पालकों के डेरे तक पहुंचने में असमर्थ रहा। अब मेरे पास पीने का पानी भी खत्म हो चुका था।

पत्थर की आड़ में गुजारी रात

18 अगस्त की शाम वर्षा होने लगी तो एक पत्थर की आड़ लेकर मैंने जैसे-तैसे बैठकर ही रात गुजारी। 19 अगस्त को पूरे दिन वर्षा होती रही और चारों ओर घना कोहरा छाया रहा। ऐसे में रास्ते का कोई अनुमान नहीं लग पा रहा था।

पानी में बिस्कुट भिगोकर खाया

राजीव बताते हैं कि अब वहीं रुकने के सिवा कोई चारा नहीं था। सो, नमकीन के साथ वर्षा के पानी में बिस्कुट (Biscuits) भिगोकर उदर पूर्ति की और माउथ आर्गन बजाकर वक्त काटा। 20 अगस्त को मौसम तो खुल गया, लेकिन अब उनमें चलते की सामर्थ्य नहीं रह गई थी। इसलिए उसी पत्थर के नीचे बैठे रहे।

यूरिन से बुझाई प्‍यास

बोतल में भरा वर्षा का पानी भी समाप्त हो चुका था और प्यास से कंठ सूखा जा रहा था। लिहाजा, मजबूरी में उसी खाली बोतल में अपना यूरिन (Urine) भरकर कंठ तर किया।

  • 21 अगस्त और 22 अगस्त की दोपहर तक भी यूरिन पीकर ही गुजर की।
  • बिना पानी के प्यास कहां बुझने वाली थी, इसलिए बिस्कुट नहीं खाए जा सके।
  • हां! माउथ आर्गन जरूर बजाते रहे, ताकि कोई उसकी आवाज सुनकर उन तक पहुंच सके।

देवदूत बनी अगोड़ा गांव की महिलाएं

रास्ता भटके अमेरिकी नागरिक के लिए अगोड़ा गांव की महिलाएं देवदूत बनी। 22 अगस्त को अगोड़ा गांव की महिलाएं घास के लिए डोडीताल ट्रैक (Dodital Track) के निकट उडकोटी नाला में गई थी। वहां घास काटने के दौरान महिलाओं को पहाड़ी पर एक व्यक्ति दिखाई दिया। महिलाओं ने इसकी सूचना वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) व एसडीआरएफ ( SDRF) को दी। जिसके बाद राजीव राव को रेस्क्यू किया गया।

बोतल में एकत्र की थी यूरिन

राजीव को रेस्क्यू करने वाले एसडीआरएफ (SDRF) के जवान शक्ति रमोला ने बताया कि वह पानी के लिए छटपटा रहे थे और बोतल में एकत्र की गई यूरिन से प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे थे। संयोग से समय रहते राजीव से संपर्क हो गया और एसडीआरएफ की टीम उन्हें सकुशल वापस ले आई।