लोकमंगल के लिए हमें आत्मानुशासन को अपने जीवन का आधार बनाना चाहिए….नुपुर अग्रवाल गुप्ता

खबर शेयर करें

लोकमंगल के लिए हमें आत्मानुशासन को अपने जीवन का आधार बनाना चाहिए, क्योंकि यही जीवन को सही दिशा देता है। यह कहना है भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की जिला संयोजिका नूपुर अग्रवाल गुप्ता का। हमारे संवाददाता से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि अनुशासन का अर्थ है, नियमों का पालन करना। नियम कई प्रकार के होते हैं। जैसे प्रकृति प्रदत्त, विधि स्थापित। किसी देश के सामाजिक व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन के लिए जो देश हित में जरूरी है, वह सभी नियम हैं। उन सब का पालन करना अनुशासन की परिधि में आता है। नियंत्रित अनुशासन आत्मानुशासन कहलाता है। इसमें किसी बाहरी नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती। जिस समाज में आत्मानुशासन होता है वहां हिंसा, भय और असुरक्षा का वातावरण नहीं होता। महात्मा गांधी के आत्मानुशासन के संकल्पना का आधार यही आत्मानुशासन ही था। यदि अनुशासन मन का अलंकरण है तो आत्मानुशासन की अनदेखी सामाजिक संताप व संवास का कारण बनती है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक सृष्टि के कारणभूत पृथ्वी, जल आदि पंचतत्व आत्मानुशासन में रहते हैं तभी तक हित साधक अन्यथा प्रलयंकारी होकर विनाश का कारण बनते हैं। ऐसे ही सूर्य व चंद्र ग्रह है। नक्षत्रादि आत्मानुशासन में रहते हैं। पूरे ब्रह्मांड के संचालक हैं। अन्यथा एक पल में सकल ब्रह्मांड का भी विनाश अवश्यंभावी है उन्होंने कहा कि इससे आत्मानुशासन के महत्व को समझा जा सकता है। इसलिए जैसे सृष्टि के उद्धव स्थिति और संचार में आत्मानुशासन ही कारण और परिणाम है। उसी प्रकार मानव की सुख-समृद्धि व शांति में आत्मानुशासन ही कारण और परिणाम दोनों है। अतः लोकमंगल के लिए हमें आत्मानुशासन को जीवन का आधार बनाना चाहिए। यही जीवन को सही दिशा देता है।