भाजपा विधायक के पिता को सपा ने बनाया प्रत्याशी, जानिए ये दिलचस्प समीकरण

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी अलग अलग रंग दिखाई दे रहे हैं। टिकट पाने की होड़ ने सबको बेचैन कर दिया है। यही हाल आजमगढ़ की फुलपूर पवई सीट पर देखने को मिल रहा है। दरअसल समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की फूलपुर पवई विधानसभा सीट से बाहुबली रमाकांत यादव को सपा का टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

दरअसल, फूलपुर पवई विधानसभा से बीजेपी विधायक अरुणकांत यादव है। वह बाहुबली रमाकांत यादव के बेटे हैं। वहीं यूपी में बदलते सियासी समीकरण के बीच चुनावी मैदान में बाप-बेटे के एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन अरूण ने पवई से लड़ने से इंकार कर दिया।

बाहुबलियों में शुमार होता है उमाकांत और रमाकांत यादव का नाम

आजमगढ़ और जौनपुर में उमाकांत यादव और रमाकांत यादव का नाम बाहुबलियों में शुमार कर दिया है। इस बार पूर्व सांसद उमाकांत यादव चुनावी मैदान से दूर हैं। लेकिन आजमगढ़ के पूर्व सांसद रमाकांत यादव फूलपुर पवई सीट से सपा के टिकट पर मैदान में हैं। इसी सीट से उनके बेटे अरूणकांत यादव बीजेपी से विधायक हैं। सपा ने पिता रमाकांत यादव को टिकट दे दिया तो बेटे ने चुनाव मैदान छोड़ दिया। यादव और मुस्लिम बहुल इस सीट पर बीजेपी ने रामसूरत और बसपा ने शकील अहमद को मैदान में उतारा है।

अरुणकांत यादव ने इंस्टाग्राम पर इमोशनल अपील करते हुए कहा कि मेरी सभा मेरा परिवार है। अधूरे काम को पूरा करने का प्रयास करेंगे। अरुण कांत यादव यहां से बीजेपी विधायक हैं और उनके छोटे भाई वरुण बीजेपी के ब्लॉक प्रमुख हैं। हालांकि बीजेपी ने अभी तक इस सीट से उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। लेकिन अरुणकांत की इमोशनल अपील का वीडियो वायरल होते ही बाप-बेटे की लड़ाई की आशंका प्रबल हो गई थी। लेकिन अब बेटे ने चुनाव मैदान छोड़ने का फैसला किया है।

फुलपुर सीट से कभी विधानसभा पहुंचे थे राम नरेश यादव

फूलपुर पवई विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव सदन में पहुंचे थे। इस बार इस सीट पर बेहद दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि इस सीट से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले पूर्व सांसद रमाकांत यादव सपा के टिकट पर मैदान में होंगे। एक समय जब रमाकांत यादव को सपा से निष्कासित किया गया था, तब रमाकांत ने कहा था कि मैं किसी भी कीमत पर सपा के पास नहीं जाऊंगा और अखिलेश यादव को जमकर कोसा था। लेकिन राजनीतिक स्थिति ऐसी हो गई थी कि पिता अपने बेटे के खिलाफ ही चुनाव लड़ेगा। लेकिन बेटे ने बीजेपी का टिकट ठुकराकर ऐसा न होने दिया।