भाजपा में जीत के बाद भी हार पर रार, कांग्रेस में करारी हार के लिए नेता सीनियर नेताओं पर हमलावर

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देहरादून, 31 मार्च। उत्तराखंड में चुनाव के परिणाम आने के बाद अब सरकार भी बन चुकी है। भाजपा 47 जबकि कांग्रेस 19 सीटें जीतकर आई। लेकिन दोनों ​ही सियासी दलों के अंदरखाने हार के कारणों को लेकर अब भी रार मची हुई है। कांग्रेस में पहले से ही सीनियर नेताओं के खिलाफ पार्टी के नेता मोर्चा खोले हुए हैं, जबकि भाजपा के अंदर भितरघात के आरोपों को लेकर पार्टी के अंदर विद्रोह की स्थिति सामने आ रही है।
भाजपा में लगातार लग रहे भितरघात के आरोप

सरकार बनाने के बाद भी भाजपा 23 सीटों पर हार के कारणों का पता लगा रही है। इसके लिए 12 पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर हार के कारणों पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। पार्टी सीएम पुष्कर सिंह धामी के खटीमा हार को लेकर भी रिपोर्ट तैयार कर रही है। जिसका कारण भी भितरघात और दूसरे सीनियर नेताओं का चुनाव में दिलचस्पी न दिखाना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि चुनाव के आखिरी दौर में सीएम को इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि वे चुनाव हार रहे हैं और आखिर में हुआ भी वही। इसके अलावा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर लक्सर के पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसका एक नया वी​डियो भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। इसमें कुछ क्षेत्रवासी संजय गुुप्ता के हार के लिए प्रदेश अध्यक्ष को दोषी मान रहे हैं। जिन्होंने बसपा के प्रत्याशी को सपोर्ट किया। इसी तरह जसपुर में भी पार्टी प्रत्याशी शैलेन्द्र मोहन सिंघल के कार्यकर्ताओं ने भी भितरघात का आरोप लगाया है। इसके अलावा आधा दर्जन से अधिक प्रत्याशी पहले ही पार्टी संगठन को भितरघात के आरोप लगा चुके हैं। जिनकी रिपोर्ट अब हाईकमान को भेजी जानी है। 1 अप्रैल तक 23 सीटों पर हार की समीक्षा होनी है। जिसकी रिपोर्ट केन्द्रीय नेतृत्व को भेजी जानी है। इसके बाद हाईकमान इन​ रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर सकता है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की कुर्सी पर भी इसी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई हो सकती है। या फिर पार्टी उपचुनाव तक अभयदान भी दे सकती है।

कांग्रेस में सीनियर नेता निशाने पर
कांग्रेस पार्टी भी अब तक हार को पचा नहीं पाई है। 11 से 19 सीटें भले ही पार्टी के खाते में आई हैं, लेकिन पार्टी के अंदर अब भी हार के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा और सीनियर नेताओं की आपसी कलह को ही प्रमुख कारण माना जा रहा है। इधर लालकुंआ से पूर्व सीएम हरीश रावत के चुनाव हारने को पूर्व विधायक और मंत्री रहे हरीश चंद्र दुर्गापाल ने प्रदेश प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इससे एक​ बार फिर पार्टी के अंदर घमासान मचना तय है। प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रीतम सिंह और हरीश रावत खेमे एक दूसरे पर पहले से ही हमलावर रहे हैं। कांग्रेस के अंदर हार के बाद से पहले ही दिन से नेताओं में हार के लिए एक दूसरे पर हमला जारी है। इसके साथ ही पार्टी के कुछ नेता टिकटों के बंटवारे को लेकर भी गंभीर आरोप लगा चुके हैं। जिसमें हरीश रावत पर भी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत आरोप लगा चुके हैं।