अब उत्तराखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कहर: दुगड्डा में 10, हल्द्वानी में 25 सुअरों की मौत

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उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से पालतू सुअरों की मौत हो रही है।


कोटद्वार क्षेत्र में जहां संक्रमण के चलते अब तक 10 पालतू सुअरों की मौत हो चुकी है तो वहीं हल्द्वानी में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर पालतू सुअरों की जान ले रहा है।

यहां 15 दिनों के भीतर 25 सुअरों की मौत हो गई। जिससे पशुपालन विभाग में खलबली मच गई है। सबसे पहले कोटद्वार के दुगड्डा क्षेत्र की बात करते हैं।

यहां कई पालतू सूअर संक्रमण की चपेट में हैं। पशुपालन विभाग की ओर से 15 संक्रमित सुअरों के सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिए गए हैं।

दुगड्डा क्षेत्र में धनीराम बाजार व सुभाष बाजार वार्ड में सूअर पालन का कार्य किया जाता है। जहां कई पालतू सूअर संक्रमण की चपेट में हैं।

पशु चिकित्सकों के अनुसार संक्रमण के कारण अभी तक 10 पालतू सुअरों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पालिका प्रशासन को पत्र लिखकर सूअर पालकों को पालतू सुअरों को खुले में छोड़ने के बजाय बाड़ों में रखने के लिए निर्देशित करने के लिए कहा है


हल्द्वानी में भी पालतू सुअरों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यहां 15 दिन में 25 सुअरों की जान चली गई। अफ्रीकन स्वाइन फीवर की आशंका को देखते हुए रुद्रपुर लैब से पशु चिकित्सकों की टीम हल्द्वानी पहुंची। टीम ने मंगलवार को गांधीनगर, काठगोदाम और राजपुरा क्षेत्र का दौरा किया और मृत सुअरों के सैंपल लिए। बता दें कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक वायरल बीमारी है। इस बीमारी में तेज बुखार के बाद दिमाग की नस फटने से सुअरों की मौत हो जाती है। अफ्रीकी देशों से आया ये रोग एक से दूसरे सूअर के संपर्क में आने से फैलता है।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बचाव के लिए कोई वैक्सीन या दवा नहीं है। इससे बचाव के लिए जानवरों को खुले में न छोड़ें। गोबर और मृत जानवरों को गड्ढे में दफनाएं। इसके अलावा ब्लीचिंग या डीडीटी का छिड़काव करें। यह बीमारी सुअरों के लिए बेहद खतरनाक है, हालांकि यह रोग जानवरों से इंसानों में नहीं फैलता।