एक शिव भक्त ऐसा भी: चलकर नहीं लेटकर कांवड़ ला रहा ये शिवभक्त, 300 किलोमीटर के सफर में तपती धूप और बारिश भी नहीं तोड़ पाई हौंसला

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हिंदू धर्म में सावन माह का महीना बहुत ही पवित्र महीना माना जाता. सावन माह में लोग कावड़ (Kanwar Yatra) लेकर आते हैं और भोले बाबा मंदिर में कावड़ चड़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. सावन (Sawan) के माह में भोले बाबा को बेल पत्री और पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती हैं. ऐसे में शिव भक्त भोले बाबा को खुश करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक शिव भक्त बरेली (Bareilly) से सामने आया है. बरेली के तहसील नवाबगंज के गांव मुझेना संतोष के रहने वाले नरेश गंगवार लेट कर कावड़ यात्रा कर रहे हैं और 37 डिग्री के तपते तापमान में लेटकर ही हरिद्वार से 300 किलोमीटर की दूरी तय कर कावड़ लेकर आ रहे हैं. उनके साथ उनकी पत्नि और पिता भी हैं.

दरअसल बरेली के नवाबगंज तहसील के गांव मुझेना संतोष के रहने वाले नरेश गंगवार 9 मई के लिए अपने 70 वर्षीय बुजुर्ग पिता और अपनी पत्नी व परिवार के साथ लेट कर हरिद्वार पहुंचे. वहां पर नीलकंठ मनसा देवी चंडी देवी के दर्शन किए. नरेश गंगवार हरिद्वार से जालौर का मन भर कर वह अपने परिवार के साथ लेट कर वापस हरिद्वार आ रहे हैं, गंगवार बरेली की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं. इस सेवा में उनकी धर्मपत्नी सावित्री भी अपना पूरा धर्म निभा रही हैं. जब 37 डिग्री के तापमान और तीज धूम में वह हाफ जाते हैं तो उनकी पत्नी उनकी हवा करती हैं और जब नरेश गंगवार बुरी तरीके से थक जाते हैं तो उनकी पत्नी पैरों को धोकर दबाती हैं. जहां परिवार विश्राम करता है वहीं पर उनकी पत्नी खाना बनाकर खाना खिलाती हैं. नरेश गंगवार अपने गांव के मंदिर पर कावड़ चलाकर भोले बाबा का आशीर्वाद लेंगे. नरेश गंगवार लेट कर आ रहे हैं तो उनको देख कर लो अद्भुत समझ रहे हैं. नरेश गंगवार ने हरिद्वार से हर की पौड़ी से जल भरा है और उस जल को तुम के निर्माणाधीन मंदिर में शिव परिवार की मूर्ति को लगाकर जलाभिषेक करेंगे.

नीलकंठ से बरेली तक 300 किलोमीटर लेट कर कर रहे हैं यात्रा

बताते चलें नरेश गंगवार गांव में ही कक्षा पांच तक स्कूल चलाते हैं. नरेश गंगवार ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें नीलकंठ से हरिद्वार हर की पौड़ी आने में 5 दिन लगे थे और उन्होंने संकल्प ले लिया है कि वह 1 इंच भी आगे बढ़ेंगे तो लेट कर ही आगे बढ़ेंगे. नरेश कुमार ने बताया कि जय सनातन धर्म को जागरूक करने के लिए लेट कर यात्रा कर रहे हैं और नरेश गंगवार मंदिर के रूप में बने ठेले में मशा देवी और चंडी देवी की अलग ज्योति भी लेकर आए हैं. नरेश गंगवार ने बताया कि मैं नीलकंठ से बरेली तक 300 किलोमीटर की दूरी तय कर रहा हूं. उन्होंने बताया कि मैं सुबह 4:00 बजे उठकर लेट कर दूरी तय करता हूं और शाम को सूरज अस्त होने के बाद विश्राम करते हैं.

70 वर्षीय बुजुर्ग पिता और 14 साल का बेटा भी कर रहा मदद

बताते चलें नरेश कुमार के 70 वर्षीय बुजुर्ग पिता नरेंद्र देव गंगवार और 14 वर्षीय बेटा पहलाद भी उनकी मदद कर रहा है. मंदिर के रूप में बने ठेले में जरूरी सामान को रखकर और शिव परिवार की मूर्ति और गंगाजल को लेकर लौट रहे नरेश गंगवार के साथ सहयोग कर रहे हैं और मंदिर रूपी बने ठेले को खींच कर चल रहे हैं. आभार सोशल मीडिया