आमलकी एकादशी पर 3 शुभ योग, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

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ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष आमलकी एकादशी पर शुभ योग बन रहा है। पुष्य नक्षत्र होने से सोम पुष्य का संयोग रहेगा। साथ ही सर्वार्थसिद्धि और प्रजापति योग है। जिस कारण ये तिथि और विशेष बन गई है। एकादशी में आंवले के वृक्ष की पूजा और दान करने का महत्व है। जिससे कई यज्ञों के बराबर फल मिलता है। कहा जाता है कि एकादशी पर आंवला का सेवन करने से कई प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एकादशी को रंगभरी ग्यारस भी कहते हैं।


आमलकी एकादशी पर शुभ मुहूर्त

आमलकी एकादशी तिथि 13 मार्च सुबह 10.21 बजे शुरू होगी। अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12.05 मिनट तक रहेगी। इस वर्ष आमलकी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग है।


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आमलकी एकादशी पर पूजा विधि

जो जातक इस दिन व्रत करते हैं। उन्हें आंवले का रस पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। घर के मंदिर में व्रत और पूजा करने का संकल्प लें। एकादशी के दिन दूध और फलों का सेवन करें। शाम को सूर्यास्त को बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। तुलसी के पास दीपक जलाएं। आमलकी एकादशी के दूसरे दिन जरूरतमंद को दान करें। उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।


आंवले के दान का महत्व


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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का पेड़ भगवान श्रीहरि को प्रिय होता है। इस वृक्ष में विष्णु और मां लक्ष्मी का निवास होता है। इस वजह से एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन आंवले का दान करने से एक हजार गायों के दान बराबर फल मिलता है। वह जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।